Tuesday 29 November 2016

Hindu Dharam Darshan 27

मेरी तहरीर में - - -
क़ुरआन का अरबी से उर्दू तर्जुमा (ख़ालिस) मुसम्मी
''हकीमुल उम्मत हज़रत मौलाना अशरफ़ अली साहब थानवी''का है,
हदीसें सिर्फ ''बुख़ारी'' और ''मुस्लिम'' की नक्ल हैं,
और तबसरा ---- जीम. ''मोमिन'' का है।
नोट: क़ुरआन में (ब्रेकेट) में बयान किए गए अलफ़ाज़ बेईमान आलिमों के होते हैं,जो मफ़रूज़ा अल्लाह के उस्ताद और मददगार होते हैं और तफ़सीरें उनकी तिकड़म हैं और चूलें हैं.

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मैसुलेनिअस mussolinians

जो लोग तौरेत (Old Testament) की रौशनी में यहूदियों की फितरत को जानते है, 
वह हिटलर को हक बजानिब कहते हैं मगर तारीख के आईने में वह मुजरिम ही है.
हिटलर को इस कशमकश में भूला जा सकता है 
मगर मसुलीनी (mussolini) को कभी नहीं जिसकी लाश पर अवाम ने 24 घंटे थूका था.
भारत में मनुवाद नाजियों की ही समानांतर व्योवस्था है.
ट्रेन में अयोध्या के तीर्थयात्री stove पर खाना बनाने की गलती के कारण 
हादसे का शिकार हो गए, उनको किसी मुसलमान ने आग के हवाले नहीं किया था.  मनुवादियों ने इस दुरघटना को रूपांतरित करके मुसलामानों को शिकार बनाया, जान व माल का ऐसा तांडव किया कि हादसा इतिसास का एक बाब बन गया.
मुंबई में पाकिस्तानी आतंकियों के हमले को मनुवादियों ने इस तरह मौके का फायदा उठाया कि पोलिस अफसर करकरे को मरवा दिया जो एक ईमान दार अफसर था और हिन्दू आतंकियों की घेरा बंदी किए हुए था, 
उसको भितर घात करके अपनी एडी का गूं पाक आतंक वादियों की एडी में लगा दिया. इन मनुवादी आतंकियों के विरोध में किसी को बोलने की हिम्मत न थी.
सूरते-हाल ही कुछ ऐसी थी.
मुज़फ्फर नगर में हिन्दू आतंक फैला कर जनता में धुरुवीय करण करने में, 
यह मनुवादी कामयाब रहे.
उनहोंने एलानिया अल्प संख्यकों के सामने अपने ताण्डव का एक नमूना पेश किया.
मुज़फ्फर नगर के शरणार्थी मुस्लिम आबादी कैराना में शरण गत हुए तो, 
मनुवादियों को नया शोशा मिल गया कि कैराना मुस्लिम जिहादी सर गर्म हैं,
उनके आतंक से हिन्दू पलायन कर रहे है, 
कश्मीर की तरह. 62% की हिन्दू आबादी 8% रह गई है.
यह mussolinian जनता के Vote को कैसे मोडते हैं, खुली हुई किताब है. 
उनकी मजबूरी यह है कि देश में जमहूरियत आ गई है, 
वरना इनका पाँच हज़ार साला वैदिक काल की तस्वीर देखी जा सकती है.


जीम 'मोमिन' निसारुल-ईमान

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