Thursday 9 March 2017

Soorah Muaariz 70

मेरी तहरीर में - - -
क़ुरआन का अरबी से उर्दू तर्जुमा (ख़ालिस) मुसम्मी
''हकीमुल उम्मत हज़रत मौलाना अशरफ़ अली साहब थानवी''का है,
हदीसें सिर्फ ''बुख़ारी'' और ''मुस्लिम'' की नक्ल हैं,
और तबसरा ---- जीम. ''मोमिन'' का है।
नोट: क़ुरआन में (ब्रेकेट) में बयान किए गए अलफ़ाज़ बेईमान आलिमों के होते हैं,जो मफ़रूज़ा अल्लाह के उस्ताद और मददगार होते हैं और तफ़सीरें उनकी तिकड़म हैं और चूलें हैं.
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 सूरह मुआरिज ७०- २९

मुहम्मद का क़यामत का शगूफ़ा इतना कामयाब होगा कि इसे सोचा भी नहीं जा सकता. आज इक्कीसवीं सदी में भी क़यामत की अफ़वाह अक्सर फैला करती है, तब तो खैर दुन्या जेहालत के दौर में थी. अवाम उमूमन डरपोक हुवा  करती है. हाद्साती अफ़वाहों को वह खुद हवा दिया करती है.
 अहले कुरैश से एक शख्स क़यामत आने की खबर समाज को देता है, इसे वह मुश्तहिर करता है. लोग हज़ार झुट्लाएं, वह बाज़ नहीं आता. उसकी वजेह से मक्का में लोगों को क़यामत का सपना आने लगा था. क़यामत की वबा फ़ैल चुकी थी, वह चाहे यकीन के तौर पर या इसका मज़ाक ही बन गया हो.
क़यामत का नया बाब खोलते हुए मुहम्मदी अल्लाह कहता है - -

"एक दरख्वास्त करने वाला इस अज़ाब की दरख्वास्त करता है कि जो काफिरों पर होने वाला है, जिसका कोई दिफ़अ करने वाला नहीं है  और जो कि अल्लाह की तरफ से वाकेअ होगा, जो कि सीढ़ियों का मालिक है. फ़रिश्ते और रूहें इसके पास चढ़ कर जाती हैं. ऐसे दिन में होगा जिस की मिकदार पचास हज़ार साल होगी, सो आप सब्र कीजिए और ऐसा सब्र की जिसमें शिकायत का नाम न हो.''
सूरह मुआरिज ७०-  पारा २९ - (आयत -१-५ )

मुहम्मदी अल्लाह क़यामत का वक्फ़ा यहाँ पर ५०,००० साल बतलाता है, इसके पहले हज़ार साल बतलाया था, और जल्द ही आने वाली है तो हर सूरह में बार बार दोहराता है. फ़ारसी मुहाविरा है कि 
'झूट बोलने वाले की याद दाश्त कमज़ोर होती है' 
बहुत दिनों से मुसलामानों को चौदहवीं सदी का इन्तेज़ार था, मुहम्मद ने इस सदी के लिए पेशीन गोई कि थी जो आधी होने को है.
क्या मुसलमान मुसलसल खाद्शे की ज़िन्दगी जी रहा है?

"ये लोग इस दिन को बईद देख रहे हैं और हम इसको करीब देख रहे हैं, जिस दिन तेल तलछट की तरह हो जाएगा और पहाड़ रंगीन उन की तरह"
सूरह मुआरिज ७०-  पारा २९ - (आयत -६-९ )

मुहम्मद का साजिशी दिमाग़ हर वक़्त कुछ न कुछ उधेड़ बुन किया करता है, जिसके तहत क़यामत के खाके बना करते हैं. इस तरह से कुरआन का पेट भरता रहता है. तेल तलछट की तरह हो जाएगा तो ये भी अल्लाह की कोई बात हुई,तेल के नीचे तो तलछट ही होता है.

"और उस रोज़ कोई दोस्त, किसी दोस्त को न पूछेगा, बावजूद एक दूसरे को दिखा दिए जाएँगे और मुजरिम इस बात की तमन्ना करेगा कि अजाब से छूटने के लिए, अपने बेटों को , बीवी को, भाई को, और कुनबे को जिस में वह रहता था और तमाम अहले ज़मीन को फिदया में देदे, फिर ये इसको बचाए, ये हरगिज़ न होगा, बल्कि आग ऐसी हिगी जो ख़ाल उधेड़ देगी.'
सूरह मुआरिज ७०-  पारा २९ - (आयत१०-१६)

एक पाठक ने पिछले ब्लॉग पर मुझ से पूछा है कि दुन्या में मुसलमानों की पस्मान्दगी की वजेह क्या है?
उनको मैने इन्हीं आयतों पर पुख्ता यकीन बतलाया था.
मुसलमानों! क्या तुम आयत (आयत१०-१६) में मुहम्मद की साज़शी बू नहीं पा रहे हो? तुम्हारा रहनुमा तुमको और तुम्हारी नस्लों को ठग रहा है, 
आँखें खोलो.
जो इस्लाम से जुडा हुआ  सर गर्म है, उसे गौर से समझो कि वह मज़हब को ज़रीआ मुआश बनाए हुए है, न कि वह अच्छा इंसान है,
अच्छे और नेक मगर नादान तो आप लोग हो जो अपनी नस्लों को उनके यहाँ गिरवीं रक्खे हुए हो. मैं तुम्हारी गिरवीं पड़ी अमानत को बेख़ौफ़ होकर उनसे आप के हवाले कर रहा हूँ.

"जो अपनी शर्म गाहों को महफूज़ रखने वाले हैं, लेकिन अपनी बीवी से और अपनी लौंडियों से नहीं, क्यूंकि इन पर कोई इलज़ाम नहीं. हाँ जो इसके अलावा तलब गार हो, ऐसे लोग हद से निकलने वाले हैं."
सूरह मुआरिज ७०-  पारा २९ -(आयत २९-३०)
मुहम्मदी अल्लाह कहाँ से कहाँ पहुँच गया? इसी को 'बे वक़्त, बे महल बात' कहते है. उम्मी के पास कोई मुफक्किर का ज़खीरा तो था ही नहीं, लेदे के एक ही बात को बार बार औटा करता है.
मुसलमानों! क्या आज तुम लौडियाँ रखते हो?
 नहीं!
 तो फिर उस अहमक की बातों में क्यूँ मुब्तिला हो?
जैसे लौंडियाँ हराम हो गई हैं, वैसे ही इस्लाम को अपने ऊपर हराम कर लो.
"तो काफिरों को क्या हुवा कि आप की तरफ़ को दाएँ और बाएँ जमाअतें बन बन कर दौड़ रहे हैं. क्या इस में से हर शख्स इसकी हवस रखता है कि वह आशाइश की जन्नत में दाखिल होगा. ये हरगिज़ न होगा. हमने इनको ऐसी चीज़ से पैदा किया है कि जिसकी इनको भी खबर नहीं."
सूरह मुआरिज ७०-  पारा २९ -(आयत ३६-३९)

क्या पैगाम दे रही हैं ये अल्लाह की बातें ?
खुद मुसलमान इस की हवस रखता है कि वह आशाइश की जन्नत में दाखिल और काफिरों पर इलज़ाम है. इसी को लोग इस्लामी गलाज़त कहते हैं.
इंसान कैसे पैदा हुवा है, इसको हमारे साइंसटिस्ट साबित कर चुके हैं जो रोज़े रौशन की तरह उजागर है, खुद फरेब अल्लाह इसे राज़ ही रखना चाहता है.

"फिर मैं क़सम खता हूँ मगरिब और मशरिक के मालिक की, कि हम इस पर कादिर हैं कि इनकी जगह इन से बेहतर लोग ले आएँगे और हम आजिज़ नहीं हैं, सो इनको आप इसी शुगल में और इसी तफरीह में रहने दीजिए."
सूरह मुआरिज ७०-  पारा २९ -(आयत ४२ )

मुहम्मदी अल्लाह दो दिशाओं की क़सम खाता है? गोलार्ध की मुख्य लीक को जो सूरज की चाल की है, उत्तरी और दक्सिणी धुरुव को जानता भी नहीं. जिस अल्लाह की जानकारी इस कद्र सीमित हो, उसको खुदा कहने  में शर्म नहीं आती?

मुसलामानों! 
तुम पर दूसरी कौमें ग़ालिब हो चुकी हैं, ये इस्लाम की बरकत ही है. ईराक और लीबिया मौजूदः मिसालें हैं.


जीम 'मोमिन' निसारुल-ईमान

1 comment:

  1. Awe. Atankwadi hindu.

    Tu. Lindua. Tu kya samjega .
    Tuje apne dharm ke bare me tak pta nhi. Oh sorry pakhand ke bare me .

    To jawab De .
    महाभारत" इस महान ग्रन्थ में ऐसी-ऐसी गप्पे हांकी गई है कि कोई भी समझदार व्यक्ति इन्हें सत्य नही मान सकता।

    उदाहरण के लिए देखिये:---

    1. घृताची नामक अप्सरा को नग्नावस्था में देखकर भारद्वाज ऋषि का वीर्यपात हो गया, जिसे उन्होंने दोने में रख दिया, उससे द्रोणाचार्य पैदा हुवे।
    (महाभारत,,आदिपर्व,अ०129)

    2. ऋषि विभाण्डक एक बार नदी में नहा रहे थे, तभी उर्वशी को देखकर उनका वीर्य स्खलित हो गया। नदी के उस वीर्य मिश्रित पानी को एक मृगी पी गई। उसने एक मानव शिशु को जन्म दिया, यहीं श्रृंग ऋषि कहलाये।
    (महाभारत,, वनपर्व,अ० 110)

    3. राजा उपरिचर का एक बार वीर्यपात हो गया। उसने उसे दोने में डालकर एक बाज के द्वारा रानी गिरिका के पास भेजा। रास्ते में किसी दूसरे बाज ने उस पर झपट्टा मारा, जिससे वह वीर्य यमुना नदी में गिर गया और एक मछली ने निगल लिया। इससे उस मछली ने एक लड़की को जन्म दिया। लड़की का नाम सत्यवती रखा गया जो महाऋषि व्यास की माँ थी।
    (महाभारत,, आदिपर्व,अ०166,15)

    4. महाऋषि व्यास हवन कर रहे थे और जल रही आग में से धृष्टधुम्न और द्रोपदी पैदा हुए।
    (महाभारत,, आदिपर्व,166,39-44)

    5. महाराज शशि बिंदु की एक लाख रानिया थी। हर रानी के पेट से एक-एक हजार पुत्र जन्मे। कुल मिलाकर राजा के 10 करोड़ पुत्र हुवे। तब राजा ने एक यज्ञ किया, और हर पुत्र को एक-एक ब्राह्मण को दान कर दिया, हर पुत्र के साथ सौ रथ और सौ हाथी दिए। (कुल मिलाकर 10 करोड़ पुत्र,10 करोड़ ब्राह्मण,10 अरब हाथी,10 अरब रथ), इसके अलावा हर पुत्र के साथ 100-100 युवतियां भी दान दी।।
    (महाभारत,, द्रोणपर्व,अ०65 तथा शांतिपर्व 108)

    6. एक राजा हर रोज प्रातः एक लाख साठ हजार गौएँ, दस हजार घोड़े और एक लाख स्वर्णमुद्राएँ दान करता था, यह काम वह लगातार 100 वर्षो तक करता रहा।
    (महाभारत,, आ०65,श्लोक 13)

    7. राजा रंतिदेव की पाकशाला में प्रतिदिन 2000 गायें कटती थी। मांस के के साथ-साथ अन्न का दान करते-करते रंतिदेव की कीर्ति अद्वितीय हो गयी।
    (महाभारत,, आ०208,वनपर्व,8-9)

    8. संक्रति के पुत्र राजा रंतिदेव के घर पर जिस रात में अतिथियों ने निवास किया, उस रात इक्कीस हजार गायों का वध किया गया।।
    (महाभारत,, द्रोण पर्व,अ०67,श्लोक 16)

    9. राजा क्रांति देव ने गोमेध यज्ञ में इतनी गायोँ को मारा कि रक्त, मांस, मज्जा से चर्मण्यवती नदी बह निकली।
    (महाभारत,, द्रोण पर्व अ०67,श्लोक,5)

    यह है आपकी प्राचीन सभ्यता जिस पर आप गर्व करते हो??

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