Tuesday 18 April 2017

Hindu Dharm Darshan 57



वेद दर्शन - - -                          
 खेद  है  कि  यह  वेद  है  . . . 

हे अग्नि ! तुम देवों में श्रेष्ट हो. 
उनका मान तुम से संबध है 
हे दर्शनीय ! तुम ही इस यज्ञ में देवों को बुलाने वाले हो. 
हे कामवर्षी ! सभी शत्रुओं को पराजित करने के लिए तुम हमें अद्वतीय शक्ति दो.

छठां मंडल सूक्त 1
(ऋग्वेद / डा. गंगा सहाय शर्मा / संस्तृत साहित्य प्रकाशन नई दिल्ली )

कुरआन के अनुसार जो अग्नि काफिरों का जलाती है वही अग्नि काफिरों (हिन्दुओं) की पूजनीय बनी हुई है. 
धर्म व् मज़हब के तमाशे देखिए.
वेदों इन्हें देवों में श्रेष्ट मानते हैं तो कुरआन में इन्हें बद तरीन ?
आग वाक़ई दर्शनीय है, दूर से दिखाई देती है. 
बाक़ी देव अदर्शनीय ही होते हैं, 
धर्म ग्रन्थ उनका दर्शन नहीं करा सकते, उनके नाम पर ठगी कर सकते हैं.
कामवर्षी ? इन्दर देव ही हो सकते है.
ब्रह्म चारियों और योग्यों को चाहिए कि वह इन्दर देव की उपासना करे, 
उनका रोग शीग्र दूर हो जाएगा. जिंस ए लतीफ़ से आशना हो जाएँगे.
मठाधीश मैदान ए जंग में कभी भी नहीं आते बस देवों को बुलाया करते है.
महमूद गज़नवी 17 लुटेरों को साथ लेकर आया और सोम नाथ को लूट कर ले गया, वहां मौजूद सैकड़ों पुजारी ज़मीन पर औंधे मुंह पड़े सोमदेव को सहायता के लिए बुलाते रहे.

जीम 'मोमिन' निसारुल-ईमान

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