Saturday 15 April 2017

Soorah Abas 80

मेरी तहरीर में - - -
क़ुरआन का अरबी से उर्दू तर्जुमा (ख़ालिस) मुसम्मी
''हकीमुल उम्मत हज़रत मौलाना अशरफ़ अली साहब थानवी''का है,
हदीसें सिर्फ ''बुख़ारी'' और ''मुस्लिम'' की नक्ल हैं,
और तबसरा ---- जीम. ''मोमिन'' का है।
नोट: क़ुरआन में (ब्रेकेट) में बयान किए गए अलफ़ाज़ बेईमान आलिमों के होते हैं,जो मफ़रूज़ा अल्लाह के उस्ताद और मददगार होते हैं और तफ़सीरें उनकी तिकड़म हैं और चूलें हैं.
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सूरह अबस ८० - पारा ३०   
(अ ब स वतावल्ला)

ऊपर उन (७८ -११४) सूरतों के नाम, उनके शुरूआती अल्फाज़ के साथ दिया जा रहा हैं जिन्हें नमाज़ों में सूरह फातेहा या अल्हम्द - - के साथ जोड़ कर तुम पढ़ते हो.. ये छोटी छोटी सूरह तीसवें पारे की हैं. देखिए  और समझिए कि  इनमें झूट, मकर, सियासत, नफरत, जेहालत, गलाज़त यहाँ तक कि गालियाँ भी तुम्हारी इबादत में शामिल हो जाती हैं. तुम अपनी ज़बान में इनको पढने की क्या, तसव्वुर करने  की भी हिम्मत नहीं कर सकते. ये ज़बान ए गैर में है, वह भी अरबी में, जिसको तुम मुक़द्दस समझते हो, चाहे उसमे फह्हाशी ही क्यूँ न हो.. 
इबादत के लिए रुक़ूअ या सुजूद, अल्फाज़, तौर तरीके और तरकीब की कोई जगह नहीं होती, गर्क ए कायनात होकर कर उट्ठो तो देखो तुम्हारा अल्लाह तुम्हारे सामने सदाक़त बन कर खड़ा होगा. तुमको इशारा करेगा कि तुमको इस धरती पर इस लिए भेजा है कि तुम इसे सजाओ और सँवारो, आने वाले बन्दों के लिए और धरती के हर बाशिदों के लिए. इनसे नफरत करना गुनाह है, इन बन्दों और बाशिदों की खैर ही तुम्हारी इबादत होगी. इनकी बक़ा ही तुम्हारी नस्लों के हक में होगा.

"पैगम्बर चीं बचीं हो गए,
और मुतवज्जेह न हुए उससे कि इनके पास अँधा आया है,
और आपको क्या खबर कि नबीना सँवर जाता,
या नसीहत कुबूल करता तो इसको नसीहत करना फ़ायदा पहुँचाता,
सो जो शख्स लापरवाही करता है तो आप उसकी फ़िक्र में पड़े रहते हैं.
हालाँकि आप पर कोई इलज़ाम नहीं है कि वह साँवरे,
जो शख्स आपके पास दौड़ा हवा चला आता है,
और डरता है,
आप इससे बे एतनाई करते हैं.
हरगिज़ ऐसा न कीजिए, कुरआन नसीहत की चीज़ है,
सो जिसका दिल चाहे इसे कुबूल करे.
ऐसे सहीफों में से है जो मुकर्रम है."

सूरह अबस ८० - पारा ३० आयत(१-१३) 

आदमी पर अल्लाह की मार. वह कैसा है,
अल्लाह ने उसे कैसी चीज़ से पैदा किया,
नुत्फे से इसकी सूरत बनाई, फिर इसको अंदाज़े से बनाया.``
फिर इसको मौत दी,
फिर इसे जब चाहेगा दोबारह जिंदा कर देगा.

सूरह अबस ८० - पारा ३० आयत(१४-२२)  

"हरगिज़ नहीं इसको जो हुक्म दिया गया है बजा नहीं लाया,
कि आदमी को चाहिए अपने खाने पर गौर करे.
कि हमने अजीब तौर पर पानी बरसाया,
फिर अजीब तौर पर ज़मीन को फाड़ा,
फिर हमने उसमें गल्ला और तरकारी,
और ज़ैतून और खजूर,
और गुंजान  बाग़ और मेवे,
और चारा पैदा किया.
बअज़ी तुम्हारे और बअज़ी  तुम्हारे मवेशियों के फ़ायदे के वास्ते.
फिर जब कानों में बरपा होने वाला शोर बरपा होगा,
जिस रोज़ आदमी अपने भाई से, अपनी माँ से और अपने बाप से और अपनी बीवी से और अपनी अवलाद से भागेगा,
उस वक़्त हर शख्स को ऐसा मशगला होगा जो उसको और तरफ़ मुतवज्जेह न होने देगा.
बहुत  से चेहरे उस वक़्त रौशन, शादाँ और खन्दां होगे ,
और बहुत से चेहरों पर ज़ुल्मत होगी,
यही लोग काफ़िर ओ फ़ाजिर होंगे. 
   , 
सूरह अबस ८० - पारा ३० आयत(३२-४२)

झूट और शर की अलामत ओसामा बिन लादेन मारा गया  दुन्या भर में खुशियाँ मनाई जा रही हैं. याद रखें ये अलामत को सजा मिली है, झूट और शर को नहीं. सारी दुन्या मुत्तहद हो कर कह रही है कि झूट औए शर से इस ज़मीन को पाक किया जाए. ऐसे मौके पर ओबामा ने एक सियासी एलान किया कि हम इस्लाम के खिलाफ नहीं है बल्कि दहशत गरजी के खिलाफ हैं, ये उनकी मजबूरी होगी या मसलेहत.

ये झूट और शर कुरान है जिसकी तालीम जुनूनियों को तालिबान , जैश ए मुहम्मदी वग़ैरा बनाए हुए है. इसकी तबलीग और तहरीर दर पर्दा इंसानी जेहन को ज़हरीला किए हुए है. अगर तुम मुसलमान हो तो यकीनी तौर पर कुरान के शिकार हो. अब मुसलमान होते हुए  मुँह नहीं छिपाया जा सकता और न ओलिमा का ज़हरीला कैप्शूल निगला जा सकता है, वह चाहे उस पर कितनी शकर लपेटें. तुम्हारा भरम दुन्या के साथ टूट चुका है.

मुसलमानों!
तुम यकीनन " किं कर्तव्य विमूढ़" (क्या करें, क्या न करें) हो रहे हो. तुम्हारा इस वक़्त  कोई रहनुमा नहीं है, लावारिस हो रहे हो, ओलिमा ठेल ढ़केल कर तुम्हें कुरआन के झूट और शर भरी आयतों की तरफ ढकेल रहे है जिनके शिकार तुमहारे आबा ओ अजदा हुए हैं. एक वक़्त आएगा कि तुम्हारा वजूद ख़त्म हो रहा होगा और ये हरामी क्रिश्चिनीती और हिदुत्व के गोद में बैठ रहे होंगे. 


जीम 'मोमिन' निसारुल-ईमान

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