Monday 14 August 2017

क़ुरआन के झूट - - - और तौरेती सदाक़त - - -

मेरी तहरीर में - - -
क़ुरआन का अरबी से उर्दू तर्जुमा (ख़ालिस) मुसम्मी
''हकीमुल उम्मत हज़रत मौलाना अशरफ़ अली साहब थानवी''का है,
हदीसें सिर्फ ''बुख़ारी'' और ''मुस्लिम'' की नक्ल हैं,
और तबसरा ---- जीम. ''मोमिन'' का है।
नोट: क़ुरआन में (ब्रेकेट) में बयान किए गए अलफ़ाज़ बेईमान आलिमों के होते हैं,जो मफ़रूज़ा अल्लाह के उस्ताद और मददगार होते हैं और तफ़सीरें उनकी तिकड़म हैं और चूलें हैं.
*************
क़ुरआन के झूट - - - और तौरेती सदाक़त  - - -

क़ुरआन में कई अच्छी और कई बुरी हस्तियों का नाम बार आता है, जिसमे उनका ज़िक्र बहुत मुख़्तसर होता है. पाठक की जिज्ञासा उनके बारे में बनी रहती है कि वह उनकी तफ्सील जानें. मुहम्मद ने इन हुक्मरानों का नाम भर सुना था और उनको पैग़म्बर या शैतान का दरजा देकर आगे बढ़ जाते हैं, उनका नाम लेकर उसके साथ मन गढ़ंत लगा कर क़ुरआन पढ़ने वालों को गुमराह करते हैं. दर अस्ल यह तमाम हस्तियां यहूद हैं जिनका विवरण तौरेत में आया है, मैं उनकी हक़ीक़त बतलाता हूँ, इससे मुहम्मदी अल्लाह की जिहालत का इन्किशाफ़ होता है. 

झलकियाँ - - -
इंजील दो हिस्सों में तक़सीम है , पहला आदम से लेकर ईसा तक। 
इसे ओल्ड टेस्टामेंट (Old Testament )कहते हैं। 
दूसरा ईसा और ईसा के बाद का है जिसे (New Testament ) कहते हैं। 
ईसाई इन दोनों हिस्से को अपनी मुक़द्दस इंजील मानते हैं मगर ,
यहूदियों का सिर्फ पहले हिस्से Old Testament पर ही ईमान है जिसे तौरेत कहते हैं। 
ईसा बज़ात ख़ुद यहूदी थे मगर बुन्याद परस्ती के बाग़ी थे , जैसे भारत में कबीर हुए.  इस लिए यहूद उनको अपने धर्म का दुश्मन मानने लगे। 
मुहम्मद का माहौल यहूदियों से ज़्यादा मुतास्सिर था , इस लिए उन्हों ने बुत परस्तों के बीच में नया मूसा बनने का तरीक़ा अपनाया , इसी लिए इस्लाम में तौरेती अंकुर हैं.

 इंजील से मुहम्मद कम ही वाक़िफ़ थे इस लिए क़ुरआन में ईसाइयत की झलक कम ही नज़र आती हैं, सूरह मरियम में मुहम्मद ने कुछ मनगढ़ंत की है। 
(यह सिलसिला जारी रहेगा)


जीम 'मोमिन' निसारुल-ईमान

No comments:

Post a Comment