Monday 21 August 2017

Quraan ke jhoot aur taureti sadaqat Q3

मेरी तहरीर में - - -
क़ुरआन का अरबी से उर्दू तर्जुमा (ख़ालिस) मुसम्मी
''हकीमुल उम्मत हज़रत मौलाना अशरफ़ अली साहब थानवी''का है,
हदीसें सिर्फ ''बुख़ारी'' और ''मुस्लिम'' की नक्ल हैं,
और तबसरा ---- जीम. ''मोमिन'' का है।
नोट: क़ुरआन में (ब्रेकेट) में बयान किए गए अलफ़ाज़ बेईमान आलिमों के होते हैं,जो मफ़रूज़ा अल्लाह के उस्ताद और मददगार होते हैं और तफ़सीरें उनकी तिकड़म हैं और चूलें हैं.
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क़ुरआन के झूट - - - और तौरेती सदाक़त  - - -

क़ुरआन में कई अच्छी और कई बुरी हस्तियों का नाम बार आता है, जिसमे उनका ज़िक्र बहुत मुख़्तसर होता है. पाठक की जिज्ञासा उनके बारे में बनी रहती है कि वह उनकी तफ्सील जानें. मुहम्मद ने इन हुक्मरानों का नाम भर सुना था और उनको पैग़म्बर या शैतान का दरजा देकर आगे बढ़ जाते हैं, उनका नाम लेकर उसके साथ मन गढ़ंत लगा कर क़ुरआन पढ़ने वालों को गुमराह करते हैं. दर अस्ल यह तमाम हस्तियां यहूद हैं जिनका विवरण तौरेत में आया है, मैं उनकी हक़ीक़त बतलाता हूँ, इससे मुहम्मदी अल्लाह की जिहालत का इन्किशाफ़ होता है. 

ख़ुदा की कायनात साज़ी 

ख़ुदा ने पहले जन्नत बनाई फिर ज़मीन बनाई। 
तब पानी बेतल था और इसके ऊपर अँधेरा था , 
तब ख़ुदा ने रौशनी को हुक्म दिया और रौशनी हो गई। 
ख़ुदा को रौशनी अच्छी लगी और उसने उसको अँधेरे से अलग कर दिया। 
उजाले को दिन कहा और अँधेरे को रात।  
शाम हुई फिर सुब्ह हुई , 
यह था पहला दिन। 

शाम हुई और फिर सुब्ह हुई , 
यह था दूसरा दिन।  
इस दिन ख़ुदा ने ज़मीन बनाया , फिर आसमान बनाया। 

तीसरे दिन ख़ुदा ने पानी और खुश्की बनाई।  
खुश्की को तरह तरह के बीजों से हरा भरा किया यानी ज़मीन पर पेड़ पौदे हुए जिससे खाने पीने का इंतेज़ाम किया। 

चौथे दिन ख़ुदा ने सूरज बनाया ताकि दिन को रौशन किया जा सके , 
तारे बनाए ताकि रात को सजाया जा सके।  

पांचवें दिन ख़ुदा ने पानी की मख़लूक़ और परिंदों की रचना की और इन्हें आशीर्वाद दिया कि फलो फूलो और जल-थल में फैल जाओ। 

छटे दिन ख़ुदा ने ज़मीन पर बसने वाले चौपाए और रेंगने वाले जीव पैदा किए .

इसके बाद इसने अपनी शक्ल व् सूरत वाला आदमी बनाया जिसे कि जल-थल के तमाम मख़लूक़ पर ग़ालिब किया।  
उसने मर्द और औरत बनाया और उनका खैर ख्वाह हुवा कि फूलो फलो और ज़मीन पर फैल जाओ। 

सातवें दिन ख़ुदा अपने बनाए हुए शाहकार पर खुश था , इस दिन इसने आराम किया और इस दिन को आराम का दिन घोषित किया। 

(क़ुरआन में ख़ुदा की इस क़ायनात साज़ी को मुहम्मद ने अदल-बदल कर पेश किया है ताकि उनके अल्लाह की बात सच मानी जाय , ताकि तौरेत को कंडम किया जा सके )



जीम 'मोमिन' निसारुल-ईमान

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