Friday 18 August 2017

Quraan ke jhoot aur taureti sadaqat Q2

मेरी तहरीर में - - -
क़ुरआन का अरबी से उर्दू तर्जुमा (ख़ालिस) मुसम्मी
''हकीमुल उम्मत हज़रत मौलाना अशरफ़ अली साहब थानवी''का है,
हदीसें सिर्फ ''बुख़ारी'' और ''मुस्लिम'' की नक्ल हैं,
और तबसरा ---- जीम. ''मोमिन'' का है।
नोट: क़ुरआन में (ब्रेकेट) में बयान किए गए अलफ़ाज़ बेईमान आलिमों के होते हैं,जो मफ़रूज़ा अल्लाह के उस्ताद और मददगार होते हैं और तफ़सीरें उनकी तिकड़म हैं और चूलें हैं.
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क़ुरआन के झूट - - - और तौरेती सदाक़त  - - -

क़ुरआन में कई अच्छी और कई बुरी हस्तियों का नाम बार आता है, जिसमे उनका ज़िक्र बहुत मुख़्तसर होता है. पाठक की जिज्ञासा उनके बारे में बनी रहती है कि वह उनकी तफ्सील जानें. मुहम्मद ने इन हुक्मरानों का नाम भर सुना था और उनको पैग़म्बर या शैतान का दरजा देकर आगे बढ़ जाते हैं, उनका नाम लेकर उसके साथ मन गढ़ंत लगा कर क़ुरआन पढ़ने वालों को गुमराह करते हैं. दर अस्ल यह तमाम हस्तियां यहूद हैं जिनका विवरण तौरेत में आया है, मैं उनकी हक़ीक़त बतलाता हूँ, इससे मुहम्मदी अल्लाह की जिहालत का इन्किशाफ़ होता है. 

तौरेत 
तौरेत के मानी हैं निज़ाम अर्थात ब्यौवस्थान जो की पाँच हिस्सों में बटी  हुई है - - - 
१ - पहले में सृस्टि का और इसपर बसने वाले जीवों का जन्म। 
२- दुसरे में मिस्र से यहूदियों का निष्काशन 
३- तीसरे हिस्से में मिस्र यदूदियों के निष्काशित होने के बाद के हालात। 
४- यहूदियों की जनसंखिया। 
५- धार्मिक रस्म व् रिवाज। 

   कहते हैं कि तौरेत मूसा का ग्रंथ है मगर यह बात पूरी तरह से सच नहीं है , क्यूंकि मूसा के बाद के हालात बज़रिए मूसा कैसे मुमकिन है ? दरअस्ल तौरेत एक ऐतिहासिक ग्रन्थ है जब भी और जिसने भी लिखी हो। 
क़ुरआन अलग अपना ही राग अलापता है कि तौरेत आसमानी किताब है जो मूसा पर उतरी है। 




जीम 'मोमिन' निसारुल-ईमान

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