Saturday 23 November 2019

परिवर्तन


परिवर्तन 

शेरशाह सूरी

शेरशाह सूरी का सिर्फ़ पांच साल का शासन काल रहा. 
उसकी अचानक मौत से मानवता का उभरता सूरज डूब  गया. 
अगर शेरशाह सूरी को औरंगज़ेब की तरह 52 साल का शाशन काल मिलता तो आज का भारत कुछ और ही होता. 
उसने इस पांच साल की मुख़्तसर अवधि में दुन्या की सबसे बड़ी शाहराह GT Road बनवाई, उस पर कुएँ ख़ुदवाए, पेड़ लगवाए और विश्राम गृह निर्माण किए. 
उसका इतिहास शानदार है. 
अफ़गानी सूबेदार का बेटा अपने दम ख़म पर हुमायूं को परास्त करके हिन्दुस्तान के सिंघाशन पर बिराज मान हुवा. 
उसका नायाब अंदाज़ यह था कि दोपहर को खाने के वक़्त वह देश भर में घंटे बजवाता जो कि एक तरह का एलान होता - - -  
"बादशाह भोजन करने जा रहा है, रिआया खाने पर बैठ जाए." 
स्थानीय शाशन की ज़िम्मेदारी होती कि सब को भोजन मिले, 
अगर कोई भूका रह गया तो उसकी ख़ैर नहीं. 
कोई हुवा है देश के इतिहास में ऐसा शाशक ???
क़ुर्बान जाइए ऐसे शाशक पर. 
शेरशाह सूरी से प्रभावित हो कर हमारे पूर्वज काशी नरेश राजा देव दत्त मुसलमान हो कर राजा मियाँ बन गए थे. मुझे इन पर नाज़ है कि उस समय मनुवाद के आगे इस्लाम ही विकल्प था. 
आज मैं इस्लाम को त्याग कर मानवता वादी बन गया हूँ. 
"मानवमात्र" 
Thank you our fore Father Raja Dev dutt.
कि क़ुदरत के क़ानून "परिवर्तन" को अपनी पीढ़ियों को विरासत में दी.  
चार सौ साल बाद हमारे वंशज राजा माँढा विश्व नाथ प्रताप सिंह भारत के प्रधान मंत्री हुए. 
जिनको उपाधि मिली, 
"राजा नहीं फ़क़ीर है, भारत की तक़दीर है."
उन्हों ने अपनी तमाम संपत्ति ललिता ट्रस्ट को दान कर के रजवाड़े से मुक्ति ली. 
उनके दो बेटे सियासत से दूर हैं, कोई जानता भी नहीं.
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जीम 'मोमिन' निसारुल-ईमान

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