Monday 25 November 2019

मानव मात्र - - -


मानव मात्र - - - 

आजकल हिंदूवादी कट्टर पंथी बिरझाए हुए हैं, 
वह झूट का नंगा नाच नाच रहे हैं . 
इस्लाम के ख़िलाफ़ भद्दे और बेहूदा मुज़ाहिरा कर रहे हैं. 
यहूदियों की तौरेती नग्न तस्वीरें इस्लाम के मुंह पर थोप रहे हैं, 
हजारों साल पुराने अमानवीय कल्चर को इस्लाम के गले बाँध रहे हैं. 
इस्लाम का विरोध मैं भी करता हूँ मगर उस हद तक, जहाँ वह ग़लत है.
यह धार्मिक गुंडे भूल जाते हैं कि उपमहाद्वीप पर बसने वाले मुसलमान, 
इन्हीं के वंशज हैं. 
इनसे अलग होकर वह एक ज़ीना ऊपर चढ़ चुके हैं.
अब नीचे उतरना उनके लिए मुमकिन नहीं.
यह गुंडे उन्हें घसीट कर अपने स्तर में लाना चाहते हैं, 
कहते हैं बिसमिल्ला की जगह जय श्री गणेश कहने लगो. 
कौन होगा जो एकेश्वर की वैश्विक धारणा को छोड़ कर गोबर से निर्मित, 
पारबती के शरीर से निकले हुए मैल से बने गणेश का नाम लेगा ? 
नक कटे बस्ती के बाशिदे, नाक दार को सहन नहीं कर पाते, कहते हैं - - - 
"कितनी बुरी लग रही है तुम्हारी यह नाक आओ तुम भी  हमारी तरह हो जाओ."
हमारे कुछ बुद्धि हीन पाठक मुझे पढ़ पढ़ कर समझने लगे हैं, 
कि मैं भी उनकी तरह ही मुसलमान विरोधी हूँ, 
मैं मुसलमानों का समर्थक ज़याद हूँ ,   
इसलिए कि वह दूसरी क़ौमों की तरह ख़ुद को बदल नहीं पा रहे. 
इस वजह से उनका आलोचक हूँ.
90% की आवाज़ 10% से की आवाज़ से दस ग़ुणा ज़्यादः ज़ोरदार होती है, 
इसका मतलब यह नहीं कि मिथ्य सत्य से बड़ा हो जाता है. 
मैं फिर कह रहा हूँ कि हिन्दुस्तानी मुसलमान हिन्दुओं से हर मुआमले में बेहतर है, 
बस कि वह हिदुओं की तरह ही परिवर्तन शील हो जाएं .  
***
जीम 'मोमिन' निसारुल-ईमान

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