Friday 13 October 2017

Quraan ke jhoot aur taureti sadaqa 15

मेरी तहरीर में - - -
क़ुरआन का अरबी से उर्दू तर्जुमा (ख़ालिस) मुसम्मी
''हकीमुल उम्मत हज़रत मौलाना अशरफ़ अली साहब थानवी''का है,
हदीसें सिर्फ ''बुख़ारी'' और ''मुस्लिम'' की नक्ल हैं,
और तबसरा ---- जीम. ''मोमिन'' का है।
नोट: क़ुरआन में (ब्रेकेट) में बयान किए गए अलफ़ाज़ बेईमान आलिमों के होते हैं,जो मफ़रूज़ा अल्लाह के उस्ताद और मददगार होते हैं और तफ़सीरें उनकी तिकड़म हैं और चूलें हैं.
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क़ुरआन में कई अच्छी और कई बुरी हस्तियों का नाम बार बार आता है , जिसमे उनका ज़िक्र बहुत मुख़्तसर होता है। पाठक की जिज्ञासा उनके बारे में बनी रहती है कि वह उनकी तफ्सील जानें।  मुहम्मद ने इन हुक्मरानों का नाम भर सुना था और उनको पैग़म्बर या शैतान का दरजा देकर आगे बढ़ जाते हैं , उनका नाम लेकर उसके साथ मन गढ़ंत लगा कर क़ुरआन पढ़ने वालों को गुमराह करते हैं। दर अस्ल यह तमाम हस्तियां यहूद हैं जिनका  विवरण तौरेत में आया है, मैं उनकी हक़ीक़त बतलाता हूँ , इससे मुहम्मदी अल्लाह की जिहालत का इन्किशाफ़ होता है। 
क़ुरआन के झूट - - - और तौरेती सदाक़त  

दाऊद 
दाऊद एक चरवाहा था जो अपने आठ भाइयों में सब से छोटा था। वह अपने बाप के साथ भेड़ें चराया करता था। बचपन से ही उसे सितार बजने का शौक़ था। इसके कुछ भाई मशहूर राजा सोल (जिसे क़ुरआन में सालेह कहा गया है) की फ़ौज में सिपाह थे। 
एक दिन वह भाइयों के लिए रोटियाँ लेकर फौजी दस्ते में गया। उसने देखा कि दुश्मन फिलिस्ती फ़ौज का कमांडर ज़र व् बख़्तर और हथियारों से लैस मैदान में डटा हुवा मुकाबले का इन्तज़ार कर रहा है। 
( उस ज़माने में जंगें ऐसी होती थीं कि मुक़ाबिल फौजो के कमांडर मैदान में मुक़ाबला करते , उनकी ही जीत या हार से जंग का अंजाम मान लिया जाता था, फौजों का खून खराबा नहीं होता था।) 
इस तरह फिलिस्ती कमांडर मैदान में उतर कर मुखालिफ को ललकार रहा था। दाऊद जोकि फौजी भी नहीं था मुकाबले की ख्वाहिश ज़ाहिर की। थोड़े से एतराज़ के बाद सोल के दस्ते की तरफ से दाऊद मुकाबले के लिए सामने आ गया था। दाऊद ने अपने गोफने में गुल्ला रख कर गोफने को घुमाया और ऐसा वार किया कि फ़िलस्ती कमांडर अपना सर थाम कर वहीँ ढेर हो गया। दाऊद ने पालक झपकते ही उसकी गर्दन उतार ली। फ़िलस्ती फ़ौज की सिकश्त हुई और उलटे पाँव मैदान से भाग कड़ी हुई। 
इस वाक़ए से इसराईलियों में दाऊद की ऐसी शोहरत हुई कि राजा सोल तक उससे रुवाब खाने लगा। उसके शान में एक कहावत रायज हुई 
"सोल ने मारे हज़ार , दाऊद ने मारा लाख को " 
इसकी शोहरत से राजा अपने लिए खतरा महसूस करने लगा यहाँ तक कि उसको मरवा देने का इरादा कर लिया मगर इस तरकीब के साथ कि अवाम को भनक न लगे। 
उसने साजिशन दाऊद को अपनी बेटी तक ब्याह दी। 
राजा सोल की नियत को दाऊद भांप गया। अपनी जान बचाने के लिए वह राजा के जाल से बाहर निकल गया.
 और लुटेरों में शामिल हो गया। राजा सोल दाऊद की तलाश में निकल पड़ा , ऐसा वक़्त भी आया कि दाऊद दो बार सोल के फंदे में आया। दाऊद को जब राजा के सामने पेश किया गया तो वह बड़े एहतराम से हाज़िर हुआ। उसने कहा आप मेरे राजा और बुज़ुर्ग  हैं। 
सोल को उस पर तरस आ गया और छोड़ दिया। 
दाऊद के खिलाफ उसका शक  बना रहा। वह  छोड़ कर भी उसका पीछा करने के लिए निकल जाता , ग़रज़  मारने की  फ़िराक़ में एक दिन वह खुद मर गया जिसक रंज दाऊद को भी हुवा उसने सोल का  मर्सिया  भी लिखा। 
राजा सोल से बचने के लिए दाऊद ने फ़िलस्तियो के मुल्क में पनाह ले रखी थी।  उसकी लूट मार बदस्तूर जारी रही , वह जिन बस्तियों पर हमला करता , वहां तबाही और बर्बादी के निशान छोड़ जाता। 
तारीख में दाऊद की एक झलक 
दाऊद अपने आदमियों को साथ लेकर मशूरियों , गिरजियों और अमालील्यों पर छापे मरता था। यह क़ौमें ज़माना ए क़दीम में मिस्र की तरफ शोर तक बसी हुई थीं। दाऊद ने उन मुल्कों पर हमला बोला और वहां के मर्द व् ज़न को ज़िंदा नहीं छोड़ा। उनकी भेड़ें गधे गायें और ऊँट सब लूट लेता, 
दर अस्ल लूट मार करता फिलिस्तियों का ही मगर अपने फिलिस्ती आक़ा से बतलाता कि इस्राईल्यों को तबाह कर रहा है। 
दाऊद डाकुओं के एक बड़े गिरोह का सरदार बन गया था इसकी दहशत गरी की चर्चा दूर दूर तक फ़ैल गई थी। राजा सोल का मर्सिया गाते गाते और उसके दामाद का फायदा लेते हुए , आखिर कार एक दिन दाऊद इस्राइलियों का बादशाह बन गया। 
और क़ुरआन दाऊद को "दाऊद अलैहिस्सलाम " कहता है। 
दाऊद हर पराजित देश से एक रानी चुनता, इस तरह उसकी कई पत्नियां हो गई थीं। एक रोज़ उसने हाथी पर सवार होकर बस्ती का जायज़ा ले रहा था कि उसे एक हित्ती औरत अपने आँगन में नंगी नहाते दिखी, उसने दाऊद को दीवाना कर दिया, दाऊद ने पता लगाया कि वह नाज़ुक अन्डम कौन है। पता चला कि इसका नाम बतशीबा है और शौहर का नाम ऊर्या है जो कि उसी की मुलाज़मत में था।
 दाऊद ने उसका काम वैसे ही तमाम किया जैसे कि जहांगीर ने शेर अफगान का काम तमाम किया था।  उसके बाद बतशीबा दाऊद की चहीति रानी बनी। इसी के बेटे सुलेमान को दाऊद ने अपना वारिस बनाया। 
दाऊद इस्राईल्यों में अज़ीम बादशाहों में शुमार होता है। 
दाऊद बूढा हो गया , इसे सर्दी का मौसम रास न आता। दाऊद के मुआलिजों ने राय दिया कि बादशाह के लिए कोई हसीन और कमसिन दोशीजा तलाश की जाए जो रात को इसको लिपटा कर सोया करे। ग़रज़ मुल्क भर में ऐसी कुवांरी कन्या की तलाश शुरू हो गई। 
मुक़ाम शूनेम से अबीशग नाम की लड़की मिली। इस तरह सौ साला बूढ़े दाऊद का इलाज हुवा मगर वह भी उसे बचा न सकी। दाऊद ने कभी भी इसके साथ मुबशरत नहीं किया। 
दाऊद के मरने के बाद उसके बड़े बेटे अदूनिया के ताल्लुक़ात अबिशग से क़ायम हो चुके थे , वह उसे अपनी बीवी बनाना चाहता था।  इसके आलावा अदूनिया बड़े बेटे होने के नाते दाऊद की गद्दी भी चाहता था। मगर दाऊद ने अपना जांनशीन सुलेमान को पहले ही बना चुका  था। 
माँ दाखिल औरत को बीवी बनाने और गद्दी की दावेदारी की वजह से सुलेमान ने मौक़ा पाकर अदूनिया को मौत के घाट उतार दिया। 
दाऊद एक कामयाब शाशक था। वह अपने मुल्की सलाह कारों , सादिकों (पुरोहित} नबियों , नातानों , यहुया दायाग के मशविरे से ही काम करता था. 
आखीर अय्याम में वह बुत परस्ती करने लगा था। 
(यह थी दाऊद की हक़ीक़त जिसकी कहानी मुहम्मदी अल्लाह क़ुरआन में अजीब व् ग़रीब गढ़े हुए है)  



जीम 'मोमिन' निसारुल-ईमान

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