Saturday 28 October 2017

Hindu Dharm Darshan 107

वेद दर्शन

हवन करने के लिए ब्राह्मण अपने पोंगा पंडित लगाते हैं, 
यह ब्राह्मण के निठल्ले कपूत होते हैं जो राज काज में निपुणता से परे माने जाते हैं. 
यह समाज में हवन यज्ञ का माहौल बनाए रहते हैं. 
यजमान (हवन का भार उठाने वाला) को पटाया करते हैं, 
हवन की उपयोगता को समझाते है कि इस से वायु मंडल शुद्ध, सुरक्षीत और सुशोभित रहता है. यह पोंगे सैकड़ों देवताओं को यजमान के घर में मन्त्र उच्चारण से  बुलाते हैं जैसे देवता गण इनके मातहत हों.  
यह हराम खोर यजमान से सोमरस तैयार कराते हैं 
औए फिर देवताओं को आमंत्रित करते हैं कि आओ अश्वनी कुमारो ! 
सोमरस तैयार है, आकर पियो.
सोमरस शराब नहीं होती, क्योंकि यह पत्थर से कूट कर 
फिर कपडे से छान कर बनाई जाती है. 
यह गालिबन भांग होती है जिसके दीवाने शंकर जी हुवा करते थे. 
यह सोमरस देवताओं के नाम पर नशा खोरी का जश्न हुवा करता था.

ऋग वेद में नामित देव गण - - - 
इंद्र देवता, अग्नि देवता, वायु देवता, अश्वनी कुमार, मरुदगण, रितु देवता, ब्राह्मणस्पति देवता, वरुण देवता, ऋभुगण देवता एवं सविता, पूषा, उषा, सूर्य, सोम विश्वेदेव, रात्रि, भावयव्य, मित्र , विष्णु ऋभु , मारूत , ध्यावा पृथ्वी जल देवता गण आदि . 
इन दवताओं के कोई न कोई ईष्ट होता है, इनकी वल्दियत भी दर्जा है अगर आप इसे कल्पित मानते हैं. 
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जीम 'मोमिन' निसारुल-ईमान

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