Friday 15 February 2019

सूरह मुल्क - 67 = سورتہ الملک (मुकम्मल)

मेरी तहरीर में - - -
क़ुरआन का अरबी से उर्दू तर्जुमा (ख़ालिस) मुसम्मी
''हकीमुल उम्मत हज़रत मौलाना अशरफ़ अली साहब थानवी''का है,
हदीसें सिर्फ ''बुख़ारी'' और ''मुस्लिम'' की नक्ल हैं,
और तबसरा ---- जीम. ''मोमिन'' का है.
नोट: क़ुरआन में (ब्रेकेट) में बयान किए गए अलफ़ाज़ बेईमान आलिमों के होते हैं,जो मफ़रूज़ा अल्लाह के उस्ताद और मददगार होते हैं और तफ़सीरें उनकी तिकड़म हैं और चूलें हैं.

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सूरह मुल्क - 67 = سورتہ الملک 
(मुकम्मल)

मुसलमानों !
ख़ुद साख़ता अल्लाह बना पैग़म्बर कहता है - - -
"वह बड़ा आलीशान है, जिसके क़ब्ज़े में तमाम सल्तनत है और हर चीज़ पर क़ादिर है, जिस ने मौत और हयात पैदा किया, ताकि तुम्हारी आज़माइश करे कि तुम में अमल में कौन ज़्यादः अच्छा है और वह ज़बरदस्त बख़्शने वाला है."
सूरह मुल्क - 67 आयत (1-2)

मुसलामानों ! 
अगर किसी अल्लाह ने तुमको आज़माने के लिए पैदा किया है तो उस पर लअनत भेजो. एक बाप अपनी औलाद को पाल पोस कर इस लिए परवान चढ़ाता कि औलाद बड़ी होकर उसके बुढ़ापे का सहारा बनेगी, 
इंसानी कमज़ोरी के तहत ये बात जायज़ हो सकती है, 
अल्लाह का अगर ये ख़याल है तो तुम उस अल्लाह के मुँह पर उसके एलान को मार दो. 

"जिसने सात आसमान ऊपर तले पैदा किए. सो तू फिर निगाह डाल के देख ले  . . . फिर बार बार निगाहें ज़ेल और दरमान्दा होकर तेरी तरफ़ लौट आएँगी और क़रीब के आसमान को चराग़ों से आरास्ता कर रखा है और हमने उनको शैतान के मारने का ज़रीया भी बना दिया है और हम ने उनके लिए दोज़ख का अज़ाब भी तैयार कर रखा है."
सूरह मुल्क - 67 आयत (3-5)

कहाँ हैं ऊपर तले सात आसमान? 
ये मुहम्मदी अटकलें हैं. 
वह अरबों खरबों सितारों और सय्यारों को शामयाने की क़िन्दील समझते हैं और सितारों के टूटने को राम बाण. 
अहमकों के सरदार सरवरे कायनात.

"जब काफ़िर लोग दोज़ख में डाले जाएँगे तो उसकी बड़ी शोर की आवाज़ सुनेंगे और वह इस तरह ज़ोर मारती होगी जैसे मालूम होगा कि ग़ुस्से के मारे फट पड़ेगी . . . "
सूरह मुल्क - 67 आयत (8 )

क्या मुहम्मदी अल्लाह में तुमको कहीं भी जेहालत नज़र नहीं आती?

"बेशक जो लोग अपने परवर दिगार से बे देखे डरते हैं, उनके लिए मग़फ़िरत और उज्र ए अज़ीम है."
सूरह मुल्क - 67 आयत (11)

पैग़म्बर दग़ाबाज़ है जो बग़ैर देखे और बिना सोचे समझे किसी अल्लाह या रसूल्लिल्लाह का यक़ीन दिलाता है. 
मुअज्ज़िन झूटी गवाही अपनी अज़ान में देता है, उसको सज़ा मिलनी चाहिए. 

"आप कहिए कि उसी ने तुमको पैदा किया और कान, नाक और दिल दिया मगर तुम लोग कम शुक्र करते हो"
सूरह मुल्क - 67 आयत (23)
अफ़सोस कि मुसलमान अपने कान, नाक और दिल का इस्तेमाल नहीं करता.  
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जीम 'मोमिन' निसारुल-ईमान

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