Tuesday 25 August 2020

प्रति शोध


प्रति शोध 

मुसलमानों की बाबरी मस्जिद को लाखों हिन्दु कारसेवकों ने धराशाई कर दिया , 
नाम कारसेवा दिया जोकि सिख्खों के ग़ुरु द्वारों में श्रद्धालुओं की सेवा करने काम होता है. 
इस तरह से किसी धर्म स्थल को गिराने का काम एक तरह से 
सिख्खिज़्म के काँधे पर रख्खा. 
मुसलमानो में इसका रोष हुवा, आवाज़ उठाई, तो मुंबई में बड़ा दंगा करके 
उन्हें सबक़ सिखलाया गया जिसमे हज़ार जानों के साथ साथ झोपड़ पट्टी में 
बसने वालों का असासा आग को हवाले किया गया.  
इसी दुर्घटना का शिकार एक ईमान दार पुलिस अफसर करकरे को भी 
हिंदू सगठनो ने मौत के घाट उतार दिया और हत्या का इलज़ाम भी 
मुसलमानो के सर मढ़ा. 
इसके बाद मुंबई सीरियल बम कांड की घटना इन ज़्यादतियों का प्रति शोध था 
जिसमे जाने नहीं बल्कि महत्त्व पूर्ण जाने और झोपड़ पट्टियां नहीं बल्कि क़ीमती इमारतें आग के हवाले हुईं. 
दोनों कुकृतियों का न्याय अनन्याय पूर्ण हुवा 
जिसका विरोध दबी ज़बान में दोनों पक्ष बुद्धि जीवीयों ने किया. 
10%की अल्पसंख्यक 90% का खुलकर कुछ बिगड़ नहीं सकती 
मगर जो कर सकती उसे निडर होकर किया.  
याक़ूब मेमन के जनाज़े में शरीक होकर .
***
म 'मोमिन' निसारुल-ईमान

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