Monday 21 December 2020

मुग़ीरा इब्ने शोअबा


मुग़ीरा इब्ने शोअबा

 मुहम्मद के साथी सहाबी की हदीस है कि इन्होंने (मुग़ीरा इब्ने शोअबा) एक क़ाफ़िले का भरोसा हासिल कर लिया था फिर गद्दारी और दग़ा बाज़ी की मिसाल क़ायम करते हुए उस क़ाफ़िले के तमाम लोगो को सोते में क़त्ल करके मुहम्मद के पनाह में आए थे और वाक़ेआ को बयान कर दिया था, फिर अपने लूटे हुए माल को बचाते हुए अपनी शर्त पर मुस्लमान हो गए थे. (बुख़ारी-११४४)

मुसलमानों ने उमर द ग्रेट कहे जाने वाले ख़लीफ़ा के हुक्म से जब ईरान पर लुक़मान इब्न मुक़रन की क़यादत में हमला किया तो ईरानी कमान्डर ने बे वज्ह हमले का सबब पूछा था तो इसी मुग़ीरा ने क्या कहा ग़ौर फ़रमाइए - - -

''हम लोग अरब के रहने वाले हैं. हम लोग निहायत तंग दस्ती और मुसीबत में थे. 
भूक की वजेह से चमड़े और खजूर की गुठलियाँ चूस चूस कर बसर औक़ात करते थे. दरख़्तों और पत्थरों की पूजा किया करते थे. ऐसे में अल्लाह ने अपनी जानिब से हम लोगों के लिए एक रसूल भेजा. इसी ने हम लोगों को तुमसे लड़ने का हुक्म दिया है, उस वक़्त तक कि तुम एक अल्लाह की इबादत न करने लगो या हमें जज़या देना न क़ुबूल करो. इसी ने हमें परवर दिगार के तरफ़ से हुक्म दिया है कि जो जेहाद में क़त्ल हो जाएगा वह जन्नत में जाएगा और जो हम में ज़िन्दा रह जाएगा वह तुम्हारी गर्दनों का मालिक होगा.
यह पहला जिहादी हमला हुवा. 
(बुख़ारी जदीद - १२८९)
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जीम 'मोमिन' निसारुल-ईमान

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