Tuesday 10 January 2017

Hindu Dharm Darsha 33

मेरी तहरीर में - - -
क़ुरआन का अरबी से उर्दू तर्जुमा (ख़ालिस) मुसम्मी
''हकीमुल उम्मत हज़रत मौलाना अशरफ़ अली साहब थानवी''का है,
हदीसें सिर्फ ''बुख़ारी'' और ''मुस्लिम'' की नक्ल हैं,
और तबसरा ---- जीम. ''मोमिन'' का है।
नोट: क़ुरआन में (ब्रेकेट) में बयान किए गए अलफ़ाज़ बेईमान आलिमों के होते हैं,जो मफ़रूज़ा अल्लाह के उस्ताद और मददगार होते हैं और तफ़सीरें उनकी तिकड़म हैं और चूलें हैं.
****************
आर्यन 
  
खेद  है  कि  यह  वेद  है  . . . 

जब आर्यन मध्य एशिया से भारत आए तो उन्होंने पाया कि यहाँ तो वन ही वन हैं. उनकी गायों के लिए चरागाहें तो कहीं दिखती ही नहीं. 
भारत के मूल निवासियों की जीविका यही वन थे जो आर्यों को रास नहीं आए. 
उनकी जीविका तो गाय समूह हुवा करती थीं जो उनको खाने के लिए मांस, 
पीने के लिए दूध और पहिनने के लिए खाल मुहय्या करतीं. 
उनके समझ में आया कि इन जंगलो को आग लगा कर, 
भूमि को चरागाह बन दिया जाए तो समस्या का हल निकल सकता है. 
आर्यों ने जंगलों में आग लगाना शुरू किया तो मूल निवासियों ने इस का विरोध किया. छल और बल द्वारा उन्होंने इस अग्नि काण्ड को हवन का नाम प्रचारित किया, 
कहा कि हवन से वायु शुद्ध होती है. 
यज्ञ और हवन की शुरुआत इस तरह हुई थी 
और आर्यन भारत के मालिक बन गए, भारत के मूल निवासी अनार्य हो गए. 
इसकी यज्ञ की बरकत लोगों का विश्वास बन गया 
और पंडों पुजारियों की ठग लीला इनका धंधा बन गया. 
यह सवर्ण कहे जाने वाले आर्यन 5000 वर्षों से भारत के मूल निवासियों को उनकी ज़मीन जायदाद से बे दखल कर रहे हैं, कभी नफरत फैला कर तो 
कभी देश प्रेम की हवा बना कर. 
देश के सभी मानव सभ्यताएँ इनके पैरों तले बौनी हैं, 
कही यह दुष्ट हकदारों को नक्सली बतला कर मर रहे हैं तो कहीं पर माओ वादी. कश्मीर को भारत का अभिन्न अंग कह कर, 
नागा लैंड जैसी रियासतों को अटूट हिस्सा बता कर. 
छल और कपट इनका धर्म होता है. 
आलमी अदालत UNO में समझौते पर दस्तखत करने के बाद भी 
उससे फिर जाना इनके लिए हंसी खेल होता है. 
भारत के दो भू भागों के झगडे को कभी न हल होने देने के लिए 
इनके पास हरबे होते हैं, कि यह हमारा अंदरूनी मुआमला है, 
किसी तीसरे को हमारे बीच पड़ने की कोई ज़रुरत नहीं, 
जब कि हर दो के झगडे को कोई तीसरा ही पड कर सुलह कराता है. 
आर्यन भारत आने से पहले भी अपना घिनावना इतिहास रखते हैं, 
भारत आने के बाद इनको टिकने के लिए बेहतर ज़मीन जो मिल गई है.
भारत में यह अपनी विषैली फसल बोने और काटने का हवन जारी रख्खेंगे.
यहूदियों और यरोपियन ने अनरीका के मूल निवासियों रेड इंडियंस की नस्ल कुशी करके उनका वजूद ही ख़त्म कर दिया, 
आर्यन भारत के मूल निवासियों को मारा नहीं न ही जीने दिया,
क्यों कि इन्हें दास बना कर रखने के लिए जीवित इंसानों की ज़रुरत थी. 


जीम 'मोमिन' निसारुल-ईमान

No comments:

Post a Comment