Tuesday 24 January 2017

Hindu Dharm Darsha 36


वेद दर्शन (1)
खेद  है  कि  यह  वेद  है  . . . 

बहुत शोर सुनते थे सीने में दिल का ,
जो चीरा तो इक क़तरा ए खून निकला .
वेदों के जानकर वेदी कहे जाते थे . 
एक वेद का ज्ञान रखने वाला वेदी हुवा करता था, 
दो वेदों के ज्ञाता को द्वेदी का प्रमाण पात्र मिलता था, 
तीन वेदों पर ज्ञान का अधिकार रखने वाला त्रिवेदी हुवा हुवा था, 
इसी तरह चारों वेदों का विद्वान चतुर्वेदी की उपाधि पाया करता था. 
वैदिक काल में यह डिग्रियां इम्तेआन पास करने के बाद ही मिलतीं. 
जैसे आज PHD करने वाले स्कालर को दी जाती हैं. 
मगर हिन्दू धर्म के राग माले ने सभी ऐरे गैरों को 
वेदी, द्वेदी, त्रिवेदी और चतुर्वेदी बना दिया है, जिनका कोई पूर्वज वेद ज्ञाता रहा हो. 
अगर ऐसा न होता तो आजकी दुन्या में,  
कोई योग्य पुरुष वेदों के ज्ञान को लेकर अज्ञानता को गले न लगगाता. 
आज के युग में वेद ज्ञान शून्य है, 
इससे बेहतर है कि एक कमज़ोर दिमाग़ का बच्चा हाई स्कूल पास कर ले. 
और किसी आफिस में चपरासी लग जाए.
वह कहते हैं कि पश्चिम हमारे वेदों से ज्ञान चुरा कर ले गए 
और इससे उनहोंने विज्ञान को जाना और समझा और उसका फायदा लिया. 
इसी तरह क़ुरआनी ढेंचू भी दावा करते हैं.
क़ुरआन और वेद में बड़ा फर्क इस बुन्याद पर ज़रूर है कि 
वेदों के रचैता भाषा के ज्ञानी हुवा करते थे, 
इसके बर अक्स क़ुरआन का रचैता परले दर्जे का अनपढ़ और जाहिल था.
इस बात को वह खुद अपने मुंह से कहता है कि 
हम अनपढ़ क्या जाने कि किस महीने में कितने दिन होते हैं. (एक हदीस)
मुसलमान जाहिल को Refine करते हुए मुहम्मद के लिए 
हिब्रू लफ्ज़ उम्मी का इस्तेमाल करते हैं. 
जिसका अस्ल मतलब है हिब्रू भाषा का ज्ञान न रखने वाला.
वेद में जीवन दायी तत्वों को एक जीवंत शक्ल दे दी गई है 
जोकि एक देव रूप रखता है, यह इस लिए किया कि उसको संबोधित कर सके. 
जैसे इस्लाम ने कुदरत को अल्लाह का रूप दे रखा है. 
इससे तत्व मानव जैसा कोई रूप बन गया है.
इससे संबोधन में जान पड जाती है.
वेद में सबसे ज्यादह जीवन दायी पानी हवा और अग्नि को महत्त्व दिया है, 
पानी को इंद्र देव बना दिया और इंद्र देव को मुखातिब करके  सूक्त गढे. 
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जीम 'मोमिन' निसारुल-ईमान

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