Tuesday 3 January 2017

Hindu Dharm Darshan 31

मेरी तहरीर में - - -
क़ुरआन का अरबी से उर्दू तर्जुमा (ख़ालिस) मुसम्मी
''हकीमुल उम्मत हज़रत मौलाना अशरफ़ अली साहब थानवी''का है,
हदीसें सिर्फ ''बुख़ारी'' और ''मुस्लिम'' की नक्ल हैं,
और तबसरा ---- जीम. ''मोमिन'' का है।
नोट: क़ुरआन में (ब्रेकेट) में बयान किए गए अलफ़ाज़ बेईमान आलिमों के होते हैं,जो मफ़रूज़ा अल्लाह के उस्ताद और मददगार होते हैं और तफ़सीरें उनकी तिकड़म हैं और चूलें हैं.

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हिन्दू  खुद अपना दुश्मन 

कूप मंडूक RRS के सपने मुस्लिम विरोध पर ही नहीं टिकते, 
आज के दलित कहे जाने वाले, कल के शुद्र, असली आदि के विरोध पर ही आधारित हैं , 
कहा जा सकता है कि तमाम मानव जाति का और मानवता का विरोधी है . सिर्फ मुठ्ठी भर बरहमान को छोड़ कर .
दूर दर्शिता में तो इसे अँधा भी कहा जा सकता है .
आज़ाद भारत में कुछ प्रितिशत बरहमन सत्ता पर ज़रूर विराजमान है, बाकी का हाल कहीं कहीं पिछड़ों से भी पीछे हैं . 
इनकी आबादी का प्रितिशत भी बाकियों से पीछे है . 
मनुवाद ने इनका भी नुकसान किया है , 
शूद्रों को पामाल किया सो किया .
इनकी काट भी दर पर्दा इस्लाम करता है , जब कभी दलित दमित समाज इन से कोपित होकर धर्म परिवर्तन की धमकी देता है जिसकी शरण स्थली इस्लाम होता है .
इस्लाम ने भारत का नक्शा बदला है . एक बड़ा हिस्सा जो मामा शकुनी और गंधारी के ऐतिहासिक कर्म भूमि था आज मनुवाद से मुक्त हो चुका है , यह बात अलग है कि फिलहाल इस्लाम ग्रस्त है . 
बंगाल में एक दलित जिसे उर्फे-आम में काला पहाड़ कहा जाता था , जगा तो ९५% शुद्र जो जानवर से बदतर ज़िन्दगी गुज़ार रहे थे , सभों ने इस्लाम क़ुबूल कर लिया और मनु वादियों को ऐसी सजा दी कि उन्हेंउसे भागे राह न  मिली . 
काला पहाड़ जिसने मुस्लिम शासह्क के सामने इस शर्त पर इस्लाम कुबूल किया था कि उसे फ़ौज में बड़ा ओहदा दे दिया जाए . ताक़त मिलने के बाद, उसकी एक आवाज़ पर सारे शुद्र मुसलमान हो गए , नतीजतन बारह्मानों को भागे राह न मिली और थक हार के वह भी कर मुसलमान हो गए .
शेख मुजीबुर रहमान और शेख हसीया जैसे कल के बरहमन ही हुवा करते थे .
एक बड़ा भू भाग मनुवाद से मुक्त होकर अलग देश बन गया है . पश्चिमी बंगाल में भी काला पहाड़ की बरकत देखी जा सकती है .
RRS होश के नाखून ले , कहीं कोई दूसरा काला पहाड़ जन्मा तो मुसलामानों को पाकिस्तान भेजने वाले , खुद कहाँ जाएँगे ? 
आजकी सच्चाई सिर्फ शुद्ध मानवता वाद में ही देश और देश वासियों की मुक्ति हैं .
न इस्लाम और न ही  हिदुत्व में .  

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जीम 'मोमिन' निसारुल-ईमान

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