Friday 13 January 2017

Soorah Rahmaan 55-2

मेरी तहरीर में - - -
क़ुरआन का अरबी से उर्दू तर्जुमा (ख़ालिस) मुसम्मी
''हकीमुल उम्मत हज़रत मौलाना अशरफ़ अली साहब थानवी''का है,
हदीसें सिर्फ ''बुख़ारी'' और ''मुस्लिम'' की नक्ल हैं,
और तबसरा ---- जीम. ''मोमिन'' का है।
नोट: क़ुरआन में (ब्रेकेट) में बयान किए गए अलफ़ाज़ बेईमान आलिमों के होते हैं,जो मफ़रूज़ा अल्लाह के उस्ताद और मददगार होते हैं और तफ़सीरें उनकी तिकड़म हैं और चूलें हैं.
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सूरह रहमान ५५ -पारा २७   
(2)

सूरह रहमान को मेरी नानी बड़े ही दिलकश लहेन में पढ़ती थीं उनकी  नकल में मैं भी इसे गाता था. उनके हाफिज़ जी ने उनको बतलाया था कि इस सूरह में अल्लाह ने अपनी बख्शी हुई नेमतों का ज़िक्र  किया है .सूरह को अगर अरबी गीत कहीं तो उसका मुखड़ा यूँ था,
"फबेअय्या आलाय रबबोकमा तोकज्ज़ेबान " यानी
"सो जिन्न ओ इंसान तुम अपने रब के कौन कौन सी नेमतों से मुनकिर हो जाओगे"
जब तक मेरा शऊर बेदार नहीं हुवा था मैं अल्लाह की नेमतो का मुतमन्नी रहा कि उसने हमें अच्छे और लज़ीज़ खाने का वादा किया होगा, बेहतरीन कपड़ों  का, शानदार मकानों का और दर्जनों ऐशों का ख़याल दिल में आता बल्कि हर सहूलत का तसव्वुर ज़ेहन में आता कि अल्लाह के पास क्या कमी होगी जो हमें न नसीब होगा ? इसी लालच में मैंने नमाज़ें पढना शुरू कर दिया था.
जब मैंने दुन्या देखी और उसके बाद क़ुरआनी कीड़ा बन्ने की नौबत आई तो पाया की अल्लाह की बातों में मैं भी आ गया.
इस सूरह पर मेरा यही तबसरा है मगर आपसे गुज़ारिश है कि सूरह का पूरा तर्जुमा ज़रूर पढ़ें.

जितने रूए ज़मीन पर मौजूद हैं, सब फ़ना हो जाएँगे और आप के परवर दिगार की ज़ात जो अज़मत वाली और एहसान वाली है बाक़ी रह जाएगी, {नेमत३२}
सो जिन्न और इन्स ! तुम अपने रब की कौन कौन सी नेमतों से मुनकिर हो जाओगे?"
"इसी ने इंसान को जो ठीकरे की तरह बजती हैसे पैदा किया.
{नेमत३३}
सो जिन्न और इन्स ! तुम अपने रब की कौन कौन सी नेमतों से मुनकिर हो जाओगे?"
"वह  मगरिब ओ मशरक दोनों का मालिक है, 
{नेमत३४}
सो जिन्न और इन्स ! तुम अपने रब की कौन कौन सी नेमतों से मुनकिर हो जाओगे?"
इसी ने दो दरयाओं को मिलाया कि बाहम मिले हुए है, इन दोनों के दरमियान एक हिजाब है कि दोनों बढ़ नहीं सकते, 
{नेमत३५}
सो जिन्न और इन्स ! तुम अपने रब की कौन कौन सी नेमतों से मुनकिर हो जाओगे?"
इन दोनों से मोती और मूंगा बार आमद होता है, 
{नेमत३६}
सो जिन्न और इन्स ! तुम अपने रब की कौन कौन सी नेमतों से मुनकिर हो जाओगे?"
"इसी के हैं जहाज़ जो पहाड़ों की तरह ऊंचे हैं, 
{नेमत३७}
सो जिन्न और इन्स ! तुम अपने रब की कौन कौन सी नेमतों से मुनकिर हो जाओगे?"
जितने रूए ज़मीन पर मौजूद हैं, सब फ़ना हो जाएँगे और आप के परवर दिगार की ज़ात जो अज़मत वाली और एहसान वाली है बाक़ी रह जाएगी, {नेमत३८}
सो जिन्न और इन्स ! तुम अपने रब की कौन कौन सी नेमतों से मुनकिर हो जाओगे?"
"इसी ने इंसान को जो ठीकरे की तरह बजती हैसे पैदा किया. {नेमत३९}
सो जिन्न और इन्स ! तुम अपने रब की कौन कौन सी नेमतों से मुनकिर हो जाओगे?"
"वह  मगरिब ओ मशरक दोनों का मालिक है,
{नेमत४०}
सो जिन्न और इन्स ! तुम अपने रब की कौन कौन सी नेमतों से मुनकिर हो जाओगे?"
इसी ने दो दरयाओं को मिलाया कि बाहम मिले हुए है, इन दोनों के दरमियान एक हिजाब है कि दोनों बढ़ नहीं सकते, 
{नेमत४१}
सो जिन्न और इन्स ! तुम अपने रब की कौन कौन सी नेमतों से मुनकिर हो जाओगे?"
इन दोनों से मोती और मूंगा बार आमद होता है, 
{नेमत४२}
सो जिन्न और इन्स ! तुम अपने रब की कौन कौन सी नेमतों से मुनकिर हो जाओगे?"
"इसी के हैं जहाज़ जो पहाड़ों की तरह ऊंचे हैं, 
{नेमत४३}
सो जिन्न और इन्स ! तुम अपने रब की कौन कौन सी नेमतों से मुनकिर हो जाओगे?"
जितने रूए ज़मीन पर मौजूद हैं, सब फ़ना हो जाएँगे और आप के परवर दिगार की ज़ात जो अज़मत वाली और एहसान वाली है बाक़ी रह जाएगी, {नेमत४४}
सो जिन्न और इन्स ! तुम अपने रब की कौन कौन सी नेमतों से मुनकिर हो जाओगे?"
इसी से सब आसमान और ज़मीन वाले मांगते हैं, वह हर वक़्त किसी न किसी कम में रहता है,
{नेमत४५}
सो जिन्न और इन्स ! तुम अपने रब की कौन कौन सी नेमतों से मुनकिर हो जाओगे?"
" ऐ   जिन ओ इंसान! हम तुम्हारे लिए खली हुए जा रहे हैं, 
{नेमत४६}
सो जिन्न और इन्स ! तुम अपने रब की कौन कौन सी नेमतों से मुनकिर हो जाओगे?"
ऐ गिरोह जिन ओ इन्स! अगर तुम को ये कुदरत है कि आसमान ओ ज़मीन के हुदूद से कहीं बाहर निकल जाओ तो निकलो, बदूं जोर के नहीं निकल सकते. 
{नेमत४७}
सो जिन्न और इन्स ! तुम अपने रब की कौन कौन सी नेमतों से मुनकिर हो जाओगे?"
"तुम पर आग का शोला और धुवां छोड़ा जाएगा, फिर तुम हटा न सकोगे, {नेमत४८}
सो जिन्न और इन्स ! तुम अपने रब की कौन कौन सी नेमतों से मुनकिर हो जाओगे?"
"गरज जब आसमान फट जाएगा और ऐसा सुर्ख हो जाएगा जैसे नारी, {नेमत४९}
सो जिन्न और इन्स ! तुम अपने रब की कौन कौन सी नेमतों से मुनकिर हो जाओगे?"
"तो उस दिन किसी इंसान या जिन से इसके जुर्म के मुता अल्लिक न पुछा जाएगा' 
{नेमत५०}
सो जिन्न और इन्स ! तुम अपने रब की कौन कौन सी नेमतों से मुनकिर हो जाओगे?"
"मुजरिम लोग अपने हुलया से पहचाने जाएगे, , सो सर के बाल और पाँव पकडे जाएँगे, 
{नेमत५१}
सो जिन्न और इन्स ! तुम अपने रब की कौन कौन सी नेमतों से मुनकिर हो जाओगे?"
"ये है वह जहन्नम मुजरिम लोग जिसको झुट्लाते थे. वह लोग दोज़ख के इर्द गिर्द खौलते  हुए पानी के दरमियान दौरा कर रहे होंगे, 
{नेमत५२}
सो जिन्न और इन्स ! तुम अपने रब की कौन कौन सी नेमतों से मुनकिर हो जाओगे?"
"और जो शख्स अपने रब के सामने खड़े होने से डरता रहता हईसके लिए दो बाग़ होंगे, 
{नेमत५३}
सो जिन्न और इन्स ! तुम अपने रब की कौन कौन सी नेमतों से मुनकिर हो जाओगे?"
"दोनों बाग़ कसीर शाख वाले होंगे, इन दोनों बागों में दो चश्में होंगे कि बहते चले जाएँगे, 
{नेमत५४}
सो जिन्न और इन्स ! तुम अपने रब की कौन कौन सी नेमतों से मुनकिर हो जाओगे?"
"दोनों बागों में हर मेवे की दो किस्में होंगी, 
{नेमत५५}
सो जिन्न और इन्स ! तुम अपने रब की कौन कौन सी नेमतों से मुनकिर हो जाओगे?"
" वह लोग तकिया लगे अपने फर्शों पर बैठे होंगे, जिनके अस्तर दबीज़ रेशम की होंगी और दोनों बागों का फल बहुत नज़दीक होगा, 
नेमत५६}
सो जिन्न और इन्स ! तुम अपने रब की कौन कौन सी नेमतों से मुनकिर हो जाओगे?"
"इनमें नीची निगाहों वालियां होंगी कि इन लोगों से पहले इन पर न किसी आदमी ने तसर्रुफ़ किया होगौर न किसी जिन्न ने,सो जिन्न और इन्स ! तुम अपने रब की कौन कौन सी नेमतों से मुनकिर हो जाओगे?"
{नेमत५७}
गोया वह याकूत और मिरजान हैं, 
{नेमत५८}
सो जिन्न और इन्स ! तुम अपने रब की कौन कौन सी नेमतों से मुनकिर हो जाओगे?"
"भला गायत और इता अत का बदला और कुछ हो सकता है? 
{नेमत५९}
सो जिन्न और इन्स ! तुम अपने रब की कौन कौन सी नेमतों से मुनकिर हो जाओगे?"
और इन बागों से कम दर्जा कम दर्जा में दो बैग और होंगे, 
{नेमत६०}
सो जिन्न और इन्स ! तुम अपने रब की कौन कौन सी नेमतों से मुनकिर हो जाओगे?"
"वह दोनों बाघ गहरे और सब्ज़ होंगे, 
{नेमत६१}
सो जिन्न और इन्स ! तुम अपने रब की कौन कौन सी नेमतों से मुनकिर हो जाओगे?"
उन दोनों बागों में दो चश्में होंगे जोश मारते हुए, 
{नेमत६२}
सो जिन्न और इन्स ! तुम अपने रब की कौन कौन सी नेमतों से मुनकिर हो जाओगे?"
"उन दोनों बागों में मेवे खजूर और अनार होंगे, 
{नेमत६३}
सो जिन्न और इन्स ! तुम अपने रब की कौन कौन सी नेमतों से मुनकिर हो जाओगे?"
"इन में खूब सीरत खूब सूरत औरतें होंगी, 
{नेमत६४}
सो जिन्न और इन्स ! तुम अपने रब की कौन कौन सी नेमतों से मुनकिर हो जाओगे?"
वह औरतें गोरे रंगत की होंगी, खेमों में महफूज़ होंगी, 
{नेमत६५}
सो जिन्न और इन्स ! तुम अपने रब की कौन कौन सी नेमतों से मुनकिर हो जाओगे?"
इन लोगों से पहले इन पर न किसी आदमी ने तसर्रुफ़ किया होगा न किसी जिन्न ने, 
{नेमत६६}
सो जिन्न और इन्स ! तुम अपने रब की कौन कौन सी नेमतों से मुनकिर हो जाओगे?"
"वह लोग सब्ज़ और मुसज्जिर और अजीब खूब सूरत कपड़ों में तकिया लगे बैठे होंगे, 
{नेमत६७}
सो जिन्न और इन्स ! तुम अपने रब की कौन कौन सी नेमतों से मुनकिर हो जाओगे?"
"बड़ा बरकत वाला नाम है आपके रब का जो अज़मत वाला और एहसान वाला है. 
{नेमत६८}
सूरह रहमान  ५५-पारा २७- आयत (१४-६८ )
मुसलमानों! 
तुम्हारे लिए मुहम्मदी अल्लाह का यही वरदान है जो सूरह रहमान में है. हिम्मत करके इस अनचाहे वरदान को कुबूल करने से इंकार कर दो,क्यूँक तुम्हारी नस्लें इस बात की मुन्तज़िर हैं कि  उनको इस वहशी अल्लाह से नजात मिले.


जीम 'मोमिन' निसारुल-ईमान

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