Tuesday 21 February 2017

Hindu Dharm Darshan 43



वेद दर्शन - - -            खेद  है  कि  यह  वेद  है  . . . 

हे यज्ञ कर्म करता अध्वर्युजनो ! तुम जो चाहते हो वह इंद्र के लिए सोमरस देने पर तुरंत मिल जाएगा. 
याज्ञको ! हाथों द्वारा निचोड़ा हुवा सोम रस लाकर इंद्र के लिए प्रदान करो.
द्वतीय मंडल सूक्त 14-8 
यज्ञ आयोजन करने वालों को पंडित आश्वासन सोमरस के चढ़ावे से इंद्र प्रसन्न हो जाएगे. 
ध्यान रख्खें वह ओम्रस हाथों द्वारा निचोड़ा हो, न कि पैरों द्वारा अथवा मशीनों द्वारा.
धन्य है पोंगा पंडितो.
(ऋग्वेद / डा. गंगा सहाय शर्मा / संस्तृत साहित्य प्रकाशन नई दिल्ली )

वेद दर्शन - - -            खेद  है  कि  यह  वेद  है  . . . 

हे  अध्वर्युजनो ! इंद्र के लिए सोम ले आओ एवं चमचों के द्वारा मादक सोम को अग्नि में डालो. इस सोम को पीने के लिए वीर इंद्र सदा इच्छुक रहते हैं. तुम काम वर्धक इंद्र के निमित्त सोम दो, क्यों कि वह इसे चाहते हैं.
द्वतीय मंडल सूक्त 14-1 
कामुक इंद्र देव के लिए शराब की महिमा गान ?. 
इंद्र भगवान् की चाहत काम उत्तेजक सोमरस ??. 
भगवान् और मानव से इनकी फरमाइश??? 
जिन्हें गर्व हिंदुत्व का है वह कहाँ हैं ?
(ऋग्वेद / डा. गंगा सहाय शर्मा / संस्तृत साहित्य प्रकाशन नई दिल्ली )

जीम 'मोमिन' निसारुल-ईमान

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