Monday 6 February 2017

Soorah Saf 61

मेरी तहरीर में - - -
क़ुरआन का अरबी से उर्दू तर्जुमा (ख़ालिस) मुसम्मी
''हकीमुल उम्मत हज़रत मौलाना अशरफ़ अली साहब थानवी''का है,
हदीसें सिर्फ ''बुख़ारी'' और ''मुस्लिम'' की नक्ल हैं,
और तबसरा ---- जीम. ''मोमिन'' का है।
नोट: क़ुरआन में (ब्रेकेट) में बयान किए गए अलफ़ाज़ बेईमान आलिमों के होते हैं,जो मफ़रूज़ा अल्लाह के उस्ताद और मददगार होते हैं और तफ़सीरें उनकी तिकड़म हैं और चूलें हैं.
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 सूरह सफ़ ६१- पारा -२८

क़ुरान कहता है - - -
"सब चीजें अल्लाह की पाकी बयान करती हैं, जो कुछ कि आसमानों में हैं और जो कुछ ज़मीन में है. वही ज़बरदस्त है, हिकमत वाला है. ऐ ईमान वालो ! ऐसी बात क्यूँ कहते हो जो करते नहीं? अल्लाह के नज़दीक ये बात बड़ी नाराज़ी की बात है कि ऐसी बात कहो और करो नहीं."
 सूरह सफ़ ६१- पारा -२८ आयत (१-३)

और खुद साख्ता रसूल की नापाकी भी बयान करती है, जो मोमिन को गुमराह करके मुस्लिम बनाते हैं.
"जब मूसा ने अपनी कौम से फ़रमाया कि ऐ मेरी कौम मुझको क्यूँ ईज़ा पहुंचाते हो , हालांकि तुम को मालूम है कि मैं तुम्हारे पास अल्लाह का भेजा हुवा आया हूँ . फिर जब वह लोग टेढ़े हो रहे तो अल्लाह तअला ने इन्हें और टेढ़ा कर दिया."
 सूरह सफ़ ६१- पारा -२८ आयत (५)

मूसा एक ज़ालिम तरीन इंसान था, तौरेत उठा कर इसकी जन्गी दास्ताने पढ़ें. अल्लाह टेढ़ा तो नहीं होता मगर हाँ मुहम्मदी अल्लाह पैदायशी टेढ़ा है.

"जब ईसा बिन मरियम ने बनी इस्राईल से फ़रमाया कि ऐ बनी इस्राईल! मैं तुम्हारे पास अल्लाह का भेजा हुवा आया हूँ कि मुझ से पहले जो तौरेत आ चुकी है, मैं इसकी तस्दीक करने वाला हूँ और मेरे बाद जो रसूल आने वाले हैं, जिनका नाम अहमद होगा, मैं इसकी बशारत देने वाला हूँ, फिर जब वह उनके पास खुली दलीलें ले तो वह लोग कहने लगे सरीह जादू है."
सूरह सफ़ ६१- पारा -२८ आयत (६)

न ईसा पर इंजील नाज़िल हुई और न मूसा पर तौरेत. इंजील मूसा और उसके बाद उनके पैरोकारो की तसनीफ़ है जो चार पांच सौ वर्षों तक लिखी जाती रही है. तौरेत  यहूदियों का खानदानी इतिहास है, ये आसमान से नहीं उतरी और न इंजील आसमान से टपकी. ये भी ईसा के साथ रहने वाले हवारियो (धोबियों)  का दिया हुवा बयान है जो ईसा के खास हुवा करते थे. इंसानी जन्गों ने मूसा, ईसा और मुहम्मद को पैगामबर बनाए हुए है. मुसलमानों ! तुमको कुरआन सफेद झूट में मुब्तिला किए हुए है कि इंजील में कोई इबारत ऐसी दर्ज हो कि "जिनका नाम अहमद होगा, मैं इसकी बशारत देने वाला हूँ " झूठे ओलिमा तुमको  अंधरे में रख कर अपनी हलुवा पूरी अख्ज़ कर रहे है.

"उस शाख से ज्यादह ज़ालिम कौन होगा जो अल्लाह पर झूट बाँधे हाँलाकि वह इस्लाम की तरफ बुलाया जाता है."
सूरह सफ़ ६१- पारा -२८ आयत (७)

ये क़ुरआनी तकिया कलाम है, अल्लाह की जेहालत को न मानना ज़ुल्म है और बेकुसूर लोगों पर जंग थोपना सवाब है.

"ये लोग चाहते हैं कि अल्लाह के नूर को अपने मुँह से फूंक मार कर बुझा दें हाँला कि अल्लाह अपने नूर को कमाल तक पहुँचा कर रहेगा. गो काफ़िर लोग कितना ही नाखुश हों "
सूरह सफ़ ६१- पारा -२८ आयत (८)

मुहम्मद की कठ मुललई पर सिर्फ़ हँस सकते हो.

"वह अल्लाह ऐसा है जिसने अपने रसूल को सच्चा दीन देकर भेजा है, ताकि इसको तमाम दीनों पर ग़ालिब कर दे, गोकि मुशरिक कितने भी नाखुश हों."
सूरह सफ़ ६१- पारा -२८ आयत (९)
अगर तमाम दीन अल्लाह के भेजे हुए हैं तो किसी एक को ग़ालिब करने का क्या जवाज़ है? अल्लाह न हुवा कोई पहेलवान हुवा जो अपने शागिदों में किसी को अज़ीज़ और किसी को गलीज़ समझता है.

"ऐ ईमान वालो ! क्या मैं तुमको ऐसी सौदागरी बतलाऊँ कि दूर तक अज़ाब से बचा सके, कि तुम लोग अल्लाह पर और इसके रसूल पर ईमान लाओ और अल्लाह की राह में अपने माल और अपनी जान से जेहाद करो ये तुम्हारे लिए बहुत बेहतर है, अगर तुम कुछ समझ रखते हो."
सूरह सफ़ ६१- पारा -२८ आयत (१०-११)

"जैसा कि ईसा इब्ने मरियम ने हवारीन से फ़रमाया कि अल्लाह के वास्ते मेरा कौन मददगार होता है ? हवारीन बोले हम अल्लाह मददगार होते हालांकि सो बनी इस्राईल में कुछ लोग ईमान लाए , कुछ लोग मुनकिर रहे सो हमने ईमान वालों के दुश्मनों के मुकाबिले ताईद की सो वह ग़ालिब रहे."
सूरह सफ़ ६१- पारा -२८ आयत (१४)

मुहम्मद मक्का के काफिरों को हवारीन बना रहे हैं.
मुहम्मद अपनी एडी की गलाज़ात उस अज़ीम हस्ती ईसा की एडी में लगाने की कोशिश कर रहे हैं. उस कलन्दर का जँग से क्या वास्ता. उसका तो कौल है - - -
"अपनी तलवार मियान में रख ले, क्यूँ कि जो तलवार चलाते हैं, वह सब तलवार से ही ख़त्म किए जाते हैं."




जीम 'मोमिन' निसारुल-ईमान

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