Friday 11 January 2019

सूरह रहमान-55 -سورتہ الرحمان (क़िस्त 2)

मेरी तहरीर में - - -
क़ुरआन का अरबी से उर्दू तर्जुमा (ख़ालिस) मुसम्मी
''हकीमुल उम्मत हज़रत मौलाना अशरफ़ अली साहब थानवी''का है,
हदीसें सिर्फ ''बुख़ारी'' और ''मुस्लिम'' की नक्ल हैं,
और तबसरा ---- जीम. ''मोमिन'' का है.
नोट: क़ुरआन में (ब्रेकेट) में बयान किए गए अलफ़ाज़ बेईमान आलिमों के होते हैं,जो मफ़रूज़ा अल्लाह के उस्ताद और मददगार होते हैं और तफ़सीरें उनकी तिकड़म हैं और चूलें हैं.

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सूरह रहमान-55 -سورتہ الرحمان  
(क़िस्त 2)

सूरह रहमान को मेरी नानी बड़े ही दिलकश लहेन में पढ़ती थीं उनकी  नक़्ल में मैं भी इसे गाता था. उनके हाफिज़ जी ने उनको बतलाया था कि इस सूरह में अल्लाह ने अपनी बख़्शी  हुई नेमतों का ज़िक्र  किया है .सूरह को अगर अरबी गीत कहीं तो उसका मुखड़ा यूँ था,
"फबेअय्या आलाय रबबोकमा तोकज्ज़ेबान"यानी
"सो जिन्न ओ इंसान तुम अपने रब के कौन कौन सी नेमतों से मुनकिर हो जाओगे"
जब तक मेरा शऊर बेदार नहीं हुवा था मैं अल्लाह की नेमतो का मुतमन्नी रहा कि उसने हमें अच्छे और लज़ीज़ ख़ाने  का वादा किया होगा, बेहतरीन कपड़ों  का, शानदार मकानों का और दर्जनों ऐशों का ख़याल दिल में आता बल्कि हर सहूलत का तसव्वुर ज़ेहन में आता कि अल्लाह के पास क्या कमी होगी जो हमें न नसीब होगा ? इसी लालच में मैंने नमाज़ें पढना शुरू कर दिया था.
जब मैंने दुन्या देखी और उसके बाद क़ुरआनी कीड़ा बन्ने की नौबत आई तो पाया की अल्लाह की बातों में मैं भी आ गया.
इस सूरह को क़ुरआन की कुल्लियात कहा जा सकता है 
जो अज़ाबों और सवाब पर मुश्तमिल है.
* सूरह पर मेरा यही तबसरा है मगर आपसे गुज़ारिश है कि सूरह का पूरा तर्जुमा ज़रूर पढ़ें.

जितने रूए ज़मीन पर मौजूद हैं, सब फ़ना हो जाएँगे और आप के परवर दिगार की ज़ात जो अज़मत वाली और एहसान वाली है बाक़ी रह जाएगी, {नेमत32}
सो जिन्न और इन्स ! तुम अपने रब की कौन कौन सी नेमतों से मुनकिर हो जाओगे?"
इसी से सब आसमान और ज़मीन वाले मांगते हैं, वह हर वक़्त किसी न किसी कम में रहता है, {नेमत33}
सो जिन्न और इन्स ! तुम अपने रब की कौन कौन सी नेमतों से मुनकिर हो जाओगे?"
" ऐ   जिन ओ इंसान! हम तुम्हारे लिए खली हुए जा रहे हैं, {नेमत34}
सो जिन्न और इन्स ! तुम अपने रब की कौन कौन सी नेमतों से मुनकिर हो जाओगे?"
ऐ गिरोह जिन ओ इन्स! अगर तुम को ये क़ुदरत है कि आसमान ओ ज़मीन के हुदूद से कहीं बाहर निकल जाओ तो निकलो, बदूं जोर के नहीं निकल सकते. {नेमत35}
सो जिन्न और इन्स ! तुम अपने रब की कौन कौन सी नेमतों से मुनकिर हो जाओगे?"
"तुम पर आग का शोला और धुवां छोड़ा जाएगा, फिर तुम हटा न सकोगे, {नेमत36}
सो जिन्न और इन्स ! तुम अपने रब की कौन कौन सी नेमतों से मुनकिर हो जाओगे?"
"गरज जब आसमान फट जाएगा और ऐसा सुर्ख हो जाएगा जैसे नारी, {नेमत37}
सो जिन्न और इन्स ! तुम अपने रब की कौन कौन सी नेमतों से मुनकिर हो जाओगे?"
"तो उस दिन किसी इंसान या जिन से इसके जुर्म के मुता अल्लिक न पुछा जाएगा' {नेमत38}
सो जिन्न और इन्स ! तुम अपने रब की कौन कौन सी नेमतों से मुनकिर हो जाओगे?"
"मुजरिम लोग अपने हुलया से पहचाने जाएगे, , सो सर के बाल और पाँव पकडे जाएँगे, {नेमत39}
सो जिन्न और इन्स ! तुम अपने रब की कौन कौन सी नेमतों से मुनकिर हो जाओगे?"
"ये है वह जहन्नम मुजरिम लोग जिसको झुट्लाते थे. वह लोग दोज़ख़ के इर्द गिर्द खौलते  हुए पानी के दरमियान दौरा कर रहे होंगे, {नेमत40}
सो जिन्न और इन्स ! तुम अपने रब की कौन कौन सी नेमतों से मुनकिर हो जाओगे?"
"और जो शख़्स   अपने रब के सामने खड़े होने से डरता रहता हईसके लिए दो बाग़ होंगे, {नेमत41}
सो जिन्न और इन्स ! तुम अपने रब की कौन कौन सी नेमतों से मुनकिर हो जाओगे?"
"दोनों बाग़ कसीर शाख वाले होंगे, इन दोनों बागों में दो चश्में होंगे कि बहते चले जाएँगे, {नेमत42}
सो जिन्न और इन्स ! तुम अपने रब की कौन कौन सी नेमतों से मुनकिर हो जाओगे?"
"दोनों बागों में हर मेवे की दो किस्में होंगी, {नेमत43}
सो जिन्न और इन्स ! तुम अपने रब की कौन कौन सी नेमतों से मुनकिर हो जाओगे?"
"वह लोग तकिया लगे अपने फर्शों पर बैठे होंगे, जिनके अस्तर दबीज़ रेशम की होंगी और दोनों बागों का फल बहुत नज़दीक होगा, नेमत44}
सो जिन्न और इन्स ! तुम अपने रब की कौन कौन सी नेमतों से मुनकिर हो जाओगे?"
"इनमें नीची निगाहों वालियां होंगी कि इन लोगों से पहले इन पर न किसी आदमी ने तसर्रुफ़ किया होग़ौर  न किसी जिन्न ने,सो जिन्न और इन्स ! तुम अपने रब की कौन कौन सी नेमतों से मुनकिर हो जाओगे?"{नेमत45}
गोया वह याकूत और मिरजान हैं, {नेमत46}
सो जिन्न और इन्स ! तुम अपने रब की कौन कौन सी नेमतों से मुनकिर हो जाओगे?"
"भला गायत और इता अत का बदला और कुछ हो सकता है? {नेमत47}
सो जिन्न और इन्स ! तुम अपने रब की कौन कौन सी नेमतों से मुनकिर हो जाओगे?"
और इन बागों से कम दर्जा कम दर्जा में दो बैग और होंगे, {नेमत48}
सो जिन्न और इन्स ! तुम अपने रब की कौन कौन सी नेमतों से मुनकिर हो जाओगे?"
"वह दोनों बाघ गहरे और सब्ज़ होंगे, {नेमत49}
सो जिन्न और इन्स ! तुम अपने रब की कौन कौन सी नेमतों से मुनकिर हो जाओगे?"
उन दोनों बागों में दो चश्में होंगे जोश मारते हुए, {नेमत50}
सो जिन्न और इन्स ! तुम अपने रब की कौन कौन सी नेमतों से मुनकिर हो जाओगे?"
"उन दोनों बागों में मेवे खजूर और अनार होंगे, {नेमत51}
सो जिन्न और इन्स ! तुम अपने रब की कौन कौन सी नेमतों से मुनकिर हो जाओगे?"
"इन में ख़ूब सीरत ख़ूब सूरत औरतें होंगी, {नेमत52}
सो जिन्न और इन्स ! तुम अपने रब की कौन कौन सी नेमतों से मुनकिर हो जाओगे?"
वह औरतें गोरे रंगत की होंगी, खेमों में महफ़ूज़ होंगी, {नेमत53}
सो जिन्न और इन्स ! तुम अपने रब की कौन कौन सी नेमतों से मुनकिर हो जाओगे?"
इन लोगों से पहले इन पर न किसी आदमी ने तसर्रुफ़ किया होगा न किसी जिन्न ने, {नेमत54}
सो जिन्न और इन्स ! तुम अपने रब की कौन कौन सी नेमतों से मुनकिर हो जाओगे?"
"वह लोग सब्ज़ और मुसज्जिर और अजीब ख़ूब सूरत कपड़ों में तकिया लगे बैठे होंगे, {नेमत55}
सो जिन्न और इन्स ! तुम अपने रब की कौन कौन सी नेमतों से मुनकिर हो जाओगे?"
"बड़ा बरकत वाला नाम है आपके रब का जो अज़मत वाला और एहसान वाला है. {नेमत56} 
सूरह रहमान  55 आयत (1-13)
(14-78 ) इस सूरह को क़ुरआन की कुल्लियात कहा जा सकता है 
जो अज़ाबों और सवाब पर मुश्तमिल है.

मुसलमानों! तुम्हारे लिए मुहम्मदी अल्लाह का यही वरदान है 
जो सूरह रहमान में है. 
हिम्मत करके इस अनचाहे वरदान को क़ुबूल करने से इंकार कर दो,
क्यूँक तुम्हारी नस्लें इस बात की मुन्तज़िर हैं कि  
उनको इस वहशी अल्लाह से नजात मिले.
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जीम 'मोमिन' निसारुल-ईमान

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