Monday 28 January 2019

सूरह सफ़- 61= سورتہ الصف (मुकम्मल)

मेरी तहरीर में - - -
क़ुरआन का अरबी से उर्दू तर्जुमा (ख़ालिस) मुसम्मी
''हकीमुल उम्मत हज़रत मौलाना अशरफ़ अली साहब थानवी''का है,
हदीसें सिर्फ ''बुख़ारी'' और ''मुस्लिम'' की नक्ल हैं,
और तबसरा ---- जीम. ''मोमिन'' का है.
नोट: क़ुरआन में (ब्रेकेट) में बयान किए गए अलफ़ाज़ बेईमान आलिमों के होते हैं,जो मफ़रूज़ा अल्लाह के उस्ताद और मददगार होते हैं और तफ़सीरें उनकी तिकड़म हैं और चूलें हैं.

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सूरह  सफ़- 61= سورتہ الصف
(मुकम्मल)


क़ुरान कहता है - - -
"सब चीजें अल्लाह की पाकी बयान करती हैं, जो कुछ कि आसमानों में हैं और जो कुछ ज़मीन में है. वही ज़बरदस्त है, हिकमत वाला है. ऐ ईमान वालो ! ऐसी बात क्यूँ कहते हो जो करते नहीं? अल्लाह के नज़दीक ये बात बड़ी नाराज़ी की बात है कि ऐसी बात कहो और करो नहीं."
 सूरह सफ़ 61आयत (1-3)

सब चीज़ें बोलती कहाँ हैं ? 
गटर में पड़ी हुई ग़लाज़त क्या अल्लाह की पाकी बयान करती है ? 
सहीह बात करने वाले को पहले ख़ुद सहीह होना चाहिए, 
तभी लोगों पर असर होता है..
"जब मूसा ने अपनी क़ौम से फ़रमाया कि ऐ मेरी क़ौम मुझको क्यूँ ईज़ा पहुंचाते हो, हालांकि तुम को मालूम है कि मैं तुम्हारे पास अल्लाह का भेजा हुवा आया हूँ. फिर जब वह लोग टेढ़े हो रहे तो अल्लाह तअला ने इन्हें और टेढ़ा कर दिया."
 सूरह सफ़ 61आयत (5)

मूसा एक ज़ालिम तरीन इंसान था, तौरेत उठा कर इसकी जंगी दास्ताने पढ़ें. अल्लाह टेढ़ा तो नहीं होता मगर हाँ मुहम्मदी अल्लाह पैदायशी टेढ़ा है.
मुहम्मद ख़ुद को मूसा बना कर मूसा का रुतबा चाहते हैं.

"जब ईसा बिन मरियम ने बनी इस्राईल से फ़रमाया कि ऐ बनी इस्राईल! मैं तुम्हारे पास अल्लाह का भेजा हुवा आया हूँ कि मुझ से पहले जो तौरेत आ चुकी है, मैं इसकी तस्दीक करने वाला हूँ और मेरे बाद जो रसूल आने वाले हैं, जिनका नाम अहमद होगा, मैं इसकी बशारत देने वाला हूँ, फिर जब वह उनके पास खुली दलीलें लेआए तो वह लोग कहने लगे सरीह जादू है."
सूरह सफ़ 61आयत (6 )

न ईसा पर इंजील नाज़िल हुई और न मूसा पर तौरेत. 
इंजील मूसा और उसके बाद उनके पैरोकारो की तसनीफ़ है 
जो चार पांच सौ वर्षों तक लिखी जाती रही है. 
तौरेत यहूदियों का ख़ानदानी इतिहास है, 
ये आसमान से नहीं उतरी और न इंजील आसमान से टपकी. 
ये भी ईसा के साथ रहने वाले हवारियो (धोबियों)  का दिया हुवा बयान है 
जो ईसा के ख़ास साथी हुवा करते थे. 
इंसानी जंगों ने मूसा, ईसा और मुहम्मद को पैग़म्बर बनाए हुए है. 
मुसलमानों ! 
तुमको क़ुरआन सफ़ैद झूट में मुब्तिला किए हुए है, 
कि इंजील में कोई इबारत ऐसी दर्ज हो 
"जिनका नाम अहमद होगा, मैं इसकी बशारत देने वाला हूँ " 
झूठे ओलिमा तुमको अंधरे में रख कर अपनी हलुवा पूरी अख्ज़ कर रहे है.

"उस शख़्स से ज़्यादः ज़ालिम कौन होगा जो अल्लाह पर झूट बाँधे हाँलाकि वह इस्लाम की तरफ़ बुलाया जाता है."
सूरह सफ़ 61आयत (7 )

ये क़ुरआनी तकिया कलाम है, 
अल्लाह की जेहालत को न मानना ज़ुल्म है 
और बेकुसूर लोगों पर जंग थोपना सवाब है.

"ये लोग चाहते हैं कि अल्लाह के नूर को अपने मुँह से फूंक मार कर बुझा दें हाँला कि अल्लाह अपने नूर को कमाल तक पहुँचा कर रहेगा. गो काफ़िर लोग कितना ही नाख़ुश हों "
सूरह सफ़ 61आयत (8 )

मुहम्मद की कठ मुललई पर सिर्फ़ हँस सकते हो.

"वह अल्लाह ऐसा है जिसने अपने रसूल को सच्चा दीन देकर भेजा है, ताकि इसको तमाम दीनों पर ग़ालिब कर दे, गोकि मुशरिक कितने भी नाख़ुश हों."
सूरह सफ़ 61आयत (9 )

अगर तमाम दीन अल्लाह के भेजे हुए हैं तो किसी एक को ग़ालिब करने का क्या जवाज़ है? 
अल्लाह न हुवा कोई पहेलवान हुवा जो अपने शागिरदों में किसी को अज़ीज़ और किसी को कमतर समझता है.

"ऐ ईमान वालो ! क्या मैं तुमको ऐसी सौदाग़री बतलाऊँ कि दूर तक अज़ाब से बचा सके, कि तुम लोग अल्लाह पर और इसके रसूल पर ईमान लाओ और अल्लाह की राह में अपने माल और अपनी जान से जेहाद करो, ये तुम्हारे लिए बहुत बेहतर है, अगर तुम कुछ समझ रखते हो."
सूरह सफ़ 61आयत (10-11)
तुम्हारे जान व माल का दुश्मन अल्लाह का फ़रेब देकर तुम्हें बरबाद कर रहा है.

"जैसा कि ईसा इब्ने मरियम ने हवारीन से फ़रमाया कि अल्लाह के वास्ते मेरा कौन मददग़ार होता है ? हवारीन बोले हम अल्लाह मददग़ार होते हालांकि सो बनी इस्राईल में कुछ लोग ईमान लाए , कुछ लोग मुनकिर रहे सो हमने ईमान वालों के दुश्मनों के मुक़ाबिले ताईद की सो वह ग़ालिब रहे."
सूरह सफ़ 61आयत (14)

मुहम्मद मक्का के काफ़िरों को ईसा के हवारीन बना रहे हैं.
मुहम्मद अपनी एड़ी की गलाज़ात उस अज़ीम हस्ती ईसा की एड़ी में लगाने की कोशिश कर रहे हैं. 
उस मस्त कलंदर का जंगों से क्या वास्ता. 
उसका तो क़ौल है - - -
"अपनी तलवारें मियानों में रख लो, क्यूँ कि जो तलवार चलाते हैं, वह सब तलवार से ही ख़त्म किए जाते हैं."  

जीम 'मोमिन' निसारुल-ईमान

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