Tuesday 12 May 2020

शपथ गीता की, जो कहूँगा सच कहूँगा. (61)


शपथ गीता की, जो कहूँगा सच कहूँगा. (61)

भगवान् श्री कृष्ण कहते हैं - - -
>जो शास्त्रों के आदेशों की अवहेलना करता है 
और मनमाने ढ़ंग से काम करता है, 
उसे न तो सिद्धि, न सुख, न परम गति की प्राप्ति हो पती है. 
>>अतएव मनुष्य को यह जानना चाहिए कि 
शास्त्रों के विधान के अनुसार क्या कर्तव्य है और क्या अकर्तव्य है. 
उसे ऐसे विधि विधानों को जान कर कर्म करना चाहिए.
जिससे वह क्रमशः ऊपर उठ सके.   
श्रीमद् भगवद् गीता अध्याय -16   श्लोक -23-24   
* धर्म के आदेशों का तनिक भी अवहेलना किया तो, 
उसकी कल्पित मुक्ति आपके हाथों से फिसली. 
मानव का मन चाहा जीवन उसे गवारा नहीं. 
विडंबना है कि आज इक्कीसवीं सदी में भारत उप महाद्वीप की आधी से ज़्यादः आबादी इन की दासता को स्वीकार करती है, बाकियों में ज़्यादः हिस्सा लोग धर्म के छलावे को जानते हुए भी इसका संचालित किए हुए हैं, इस लिए कि इस में उनका स्वार्थ निहित है. यह लोग शिक्षित हैं मगर धर्मान्धता को कायम किए हुए है. अस्ल मुजरिम समाज के यही लोग है.
ठीक ही कहा है शास्त्र ने 
" ऐसे विधि विधानों को जान कर कर्म करना चाहिए.जिससे वह क्रमशः ऊपर उठ सके" 
और सोए हुए लोग क्रमशः नीचे गिरते रहे .   

और क़ुरआन कहता है - - - 
>''जिस रोज़ तुम इसको देखोगे, तमाम दूध पिलाने वालियाँ अपने बच्चों को दूध पिलाना भूल जाएँगी और तमाम हमल वालियाँ अपना हमल डाल देंगी और तुझको लोग नशे के आलम में दिखाई देंगे.हालांकि वह नशे में न होंगे मगर अल्लाह का अज़ाब है सख्त.'' 
सूरह हज २२-१७ वाँ पारा (आयत-२-३)
कबीलाई बन्दे मुहम्मद तमाज़त और मेयार को ताक पर रख कर गुफ्तुगू कर रहे हैं. क़यामत का बद तरीन नज़ारा वह किस घटिया हरबे को इस्तेमाल कर, कर रहे है कि जिसमे औरत ज़ात रुसवा हो रही है. और मर्द शराब के नशे में बद मस्त अपनी औरतों की रुस्वाइयाँ देख रहे होगे. 
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जीम 'मोमिन' निसारुल-ईमान

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