Sunday 24 May 2020

खेद है कि यह वेद है (62)

खेद  है  कि  यह  वेद  है  (62)

हे सोम ! 
तुम्हें इंद्र के पीने के लिए निचोड़ा गया है. 
तुम अतिशय मादक 
और मादक धारा से निचड़ो

नवाँ मंडल सूक्त 1

(ऋग्वेद / डा. गंगा सहाय शर्मा / संस्तृत साहित्य प्रकाशन नई दिल्ली )
सोम के कई अर्थ हैं, मगर वेदों में इसके अर्थ शराब के सिवा और कुछ नहीं. 
चतुराई से वेद ज्ञाता अवाम को बहकते हैं कि सोम कोई और पवित्र चीज़ होती है. शराब सिर्फ इस्लाम में हराम है बाक़ी सभी धर्मों में पवित्र. ईसा शराब के नशे में हर समय टुन्न रहते. इंद्र भाब्वन भी सोम रस के बिना टुन्न कैसे रह सकते है. 
अतिशय मादक दारू उनको हव्य में दी जाती तभी तो सोलह हज़ार पत्नियों को रखते होंगे.
वेद निर्माता पंडित जी शराब के नशे में डूबे लबरेज़ पैमाने से वार्तालाप कर रहे हैं. पैमाने को मुखातिब कर रहे हैं और उसको हिदायत दे रहे है. पैमाने को क्या पता कि उसको कौन पिएगा, वह आगाह कर रहे हैं कि खबर दार तुमको राजा इन्दर ग्रहण करेगे. तुमको और नशीला होना पड़ेगा. नशे की लहर से निचड़ो.
कुछ लोग मुझे सलाह देते हैं कि वेद को समझने के किए तुम्हें राजा इन्दर की तरह टुन्न होना पड़ेगा वरना वेद तुमको ख़ाक समझ आएगा.
यही मशविरा मुस्लिम ओलिमा भी देते हैं कि क़ुरान समझने के लिए तुम्हें दिल और दिमाग़ चाहिए.
वेद कोई पुण्य पथ नहीं, वेदना है समाज के लिए. 


जीम 'मोमिन' निसारुल-ईमान

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