Saturday 18 January 2020

खेद है कि यह वेद है (2)


खेद  है  कि  यह  वेद  है  (2)

बहुत शोर सुनते थे सीने में दिल का ,
जो चीरा तो इक क़तरा ए ख़ून निकला .
वेदों के जानकर वेदी कहे जाते थे . 
एक वेद का ज्ञान रखने वाला वेदी हुवा करता था, 
दो वेदों के ज्ञाता को द्वेदी का प्रमाण पात्र मिलता था, 
तीन वेदों पर ज्ञान का अधिकार रखने वाला त्रिवेदी हुवा था, 
इसी तरह चारों वेदों का विद्वान चतुर्वेदी की उपाधि पाया करता था. 
वैदिक काल में यह डिग्रियां इम्तेआन पास करने के बाद ही मिलतीं. 
जैसे आज PHD करने वाले स्कालर को दी जाती हैं. 
मगर हिन्दू धर्म के राग माले ने सभी ऐरे गैरों को 
वेदी, द्वेदी, त्रिवेदी और चतुर्वेदी बना दिया है, जिनका कोई पूर्वज वेद ज्ञाता रहा हो. 
अगर ऐसा न होता तो आज की दुन्या में,  
कोई योग्य पुरुष वेदों के ज्ञान को लेकर अज्ञानता को गले न लगगाता. 
आज के युग में वेद ज्ञान शून्य है, 
इससे बेहतर है कि एक कमज़ोर दिमाग़ का बच्चा हाई स्कूल पास कर ले. 
और किसी आफ़िस में चपरासी लग जाए.
वह कहते हैं कि पश्चिम हमारे वेदों से ज्ञान चुरा कर ले गए 
और इससे उन्हों ने विज्ञान को जाना और समझा और उसका फ़ायदा लिया. 
इसी तरह क़ुरआनी ढेंचू भी दावा करते हैं.
क़ुरआन और वेद में बड़ा फ़र्क़ इस बुन्याद पर ज़रूर है कि 
वेदों के रचैता भाषा के ज्ञानी हुवा करते थे, 
इसके बर अक़्स क़ुरआन का रचैता परले दर्जे का अनपढ़ और जाहिल था.
जिसने यह कह कर छुट्टी पाई कि यह उसका नहीं, अल्लाह का कलाम है.
इस बात को वह खुद अपने मुंह से कहता है कि 
हम अनपढ़ क्या जाने कि किस महीने में कितने दिन होते हैं. (एक हदीस)
मुसलमान जाहिल को Refine करते हुए मुहम्मद के लिए 
हिब्रू लफ़्ज़ उम्मी का इस्तेमाल करते हैं. 
जिसका अस्ल मतलब है हिब्रू भाषा का ज्ञान न रखने वाला.
वेद में जीवन दायी तत्वों को एक जीवंत शक़्ल दे दी गई है 
जोकि एक देव रूप रखता है, यह इस लिए किया कि उसको संबोधित कर सके. 
जैसे इस्लाम ने क़ुदरत को अल्लाह का रूप दे रखा है. 
इससे तत्व मानव जैसा कोई रूप बन गया है.
इससे संबोधन में जान पड़ जाती है.
वेद में सबसे ज़्यादः जीवन दायी पानी हवा और अग्नि को महत्त्व दिया है, 
पानी को इंद्र देव बना दिया और इंद्र देव को मुख़ातिब करके  सूक्त गढे. 
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जीम 'मोमिन' निसारुल-ईमान

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