Wednesday 1 January 2020

मानसिक संतुलन


मानसिक संतुलन 

मोदी से हमें नफ़रत है , 
ठीक उतनी ही जितनी कि मोदी को , 
नए भारत के निर्माता, आज़ादी के परवाने 
जवाहर लाल नेहरु से नफ़रत है. 
मोदी जब इतिहास को छूते हैं तो हर ऐरे गैरे का नाम ज़बान पर होता है 
मगर नेहरु उनको सुझाई नहीं देते. 
मैं मोदी काबीना के बहुत सारे मिम्बरों से भी नफ़रत करता हूँ ,
जब कि नेहरु काबीना के हर मिंबर को सर आँखों पर बिठाता हूँ. 
याद आता है कि अबुल कलाम आज़ाद ने सिर्फ़ इस बात पर नेहरु को अपना इस्तीफ़ा पेश कर दिया था कि किसी दक्सिन भारत के सांसद ने 5000 की रिश्वत ले लिया था इस पर बात इतनी बढ़ गई कि आज़ाद ने इस्तीफे में लिखा कि 
मैं ऐसे मेंबर के साथ काबीना में रहना पसंद नहीं करूंगा .
आजके मोदी काल से नेहरु काल का मुकाबला किया जाए तो 
कूकुर और बछिया का फ़र्क़ है. 
मैंने नेहरु को कई बार देखा, और सुना. 
नेहरु एक मर्यादा परुष थे, 
बा वज़न और बा वक़ार शख़्सियत थे 
 मोदी की बातें बे वज़न और स्तरहीन होती हैं. 
नेहरु की रखी हुई बुन्याद भारत की आत्मा है , 
नेहरु गांधी की पहली पसंद थे , 
गांधी जो वास्तव में राष्ट्र पिता थे. 
मोदी से हमें नफ़रत है , 
ठीक उतनी ही जितनी कि मोदी को , 
जवाहर लाल नेहरु से नफ़रत है. 
न कुछ कम न ज़्यादा
***.
जीम 'मोमिन' निसारुल-ईमान

No comments:

Post a Comment