Monday 23 November 2020

क़ुरानी निज़ाम ए हयात


क़ुरानी निज़ाम ए हयात 

मैं फिर इस बात को दोहराता हूँ कि मुसलमान समझता है कि इस्लाम में कोई ऐसी नियमा वली है जो उसके लिए मुकम्मल है, ये सोच  बिलकुल बे बुन्याद है, 
बल्कि क़ुरआन की नियम तो मुसलमानों को पाताल में ले जाते हैं. 
मुसलमानों ने क़ुरानी निज़ाम ए हयात को कभी अपनी आँखों से नहीं देखा, 
बस कानों से सुना भर है. इनका कभी क़ुरआन का सामना हुवा है, 
तो तिलावत के लिए. 
मस्जिदों में कुवें के मेंढक मुल्ला जी अपने ख़ुतबे में जो उल्टा सीधा समझाते हैं, ये उसी को सच मानते हैं. जदीद तालीम और साइंस का स्कालर भी समाजी लिहाज़ में आकर जुमा जुमा नमाज़ पढने चला ही जाता है. 
इसके माँ  बाप ठेल ढकेल कर इसे मस्जिद भेज ही देते हैं, वह भी अपनी आक़बत की ख़ातिर. मज़हब इनको घेरता है कि हश्र के दिन अल्लाह इनको जवाब तलब करेगा कि अपनी औलाद को टनाटन मुसलमान क्यूँ नहीं बनाया ? 
और कर देगा जहन्नम में दाखिल.
क़ुरआन में ज़मीनी ज़िन्दगी के लिए कोई गुंजाईश नहीं है, 
जो है वह क़बीलाई है, निहायत फ़रसूदा. क़ब्ल ए इस्लाम, अरबों में रिवाज था कि शौहर अपनी बीवी को कह देता था कि तेरी पीठ मेरी माँ या बहन की तरह हुई, 
बस उनका तलाक़ हो जाया करता था. इसी तअल्लुक़ से एक वक़ेआ हुवा कि  कोई ओस बिन सामत नाम के शख़्स ने ग़ुस्से में आकर अपनी बीवी हूला को तलाक़ का मज़कूरा जुमला कह दिया. 
बाद में दोनों जब होश में आए तो एहसास हुआ कि ये तो बुरा हो गया. 
इन्हें अपने छोटे छोटे बच्चों का ख़याल आया कि इनका क्या होगा? 
दोनों मुहम्मद के पास पहुँचे और उनसे दर्याफ़्त किया कि उनके नए अल्लाह इसके लिए कोई गुंजाईश रखते हैं ? कि वह इस आफ़त ए नागहानी से नजात पाएँ. 
मुहम्मद ने दोनों की दास्तान सुनने के बाद कहा तलाक़ तो हो ही गया है, 
इसे फ़रामोश नहीं किया जा सकता. 
बीवी हूला खूब रोई पीटी और मुहम्मद के सामने गींजी कि नए अल्लाह से कोई हल निकलवाएँ. 
फिर हाथ उठा कर सीधे अल्लाह से वह मुख़ातिब हुई और जी भर के अपने दिल की भड़ास निकाली, 
नोट :-
मेरे हिंदी लेख ख़ास कर उन मुस्लिम नव जवानो के लिए होते हैं जो उर्दू नहीं जानते. अगर इसे ग़ैर मुस्लिम भी पढ़ें तो अच्छा है, हमें कोई एतराज़ नही, 
बस इतनी ईमान दारी के साथ कि अपने गरेबान में मुंह डाल कर देखें 
कि कहीं उनके धर्म में भी कोई मानवीय मूल्य आहत तो नहीं होते. धन्यवाद
***** 

जीम 'मोमिन' निसारुल-ईमान

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