Tuesday 3 November 2020

ज़हरीला ये पैग़ाम


ज़हरीला ये पैग़ाम
           
*यहूदियों का ख़ुदा यहुवा हमेशा यहूदियों पर मेहरबान रहता है, 
गाड एक बाप की तरह हमेशा अपने ईसाई बेटों को मुआफ़ किए रहता है, 
ज़्यादह तर धार्मिक भगवान दयालु होते हैं, 
बस कि  एक मुसलमानों का अल्लाह है जो उन पर पैनी नज़र रखता है. 
वोह बार बार इन्हें धमकियाँ दिए रहता है. 
हर वक़्त याद दिलाता रहता है कि वह बड़ा अज़ाब देने वाला है. 
सख़्त बदला लेने वाला है. 
चाल चलने वाला वाला है. 
गर्दन दबोचने वाला है. क़हर ढाने वाला है. 
वह मुसलमानों को हर वक़्त डराए रहता है. 
उसे डरपोक बन्दे पसंद हैं, 
बसूरत दीगर उसकी राह में जेहादी उसकी पहली पसंद हैं.. 
वोह मुसलमानों को महदूद होकर जीने की सलाह देता है, 
जिस की वजह से हिदुस्तानी मुसलमान कशमकश की ज़िन्दगी जीने पर मजबूर हैं. 
इन्हें मुल्क में मशकूक नज़रों से देखा जाए तो क्यूँ न देखा जाए ? 
देखिए अल्लाह कहता है - - -
''मुसलमानों को चाहिए कुफ़्फ़ारों को दोस्त न बनाएं, 
मुसलमानों से तजाउज़ करके जो शख़्स ऐसा करेगा, वह शख़्स  अल्लाह के साथ किसी शुमार में नहीं मगर अल्लाह तुम्हें अपनी ज़ात से डराता है." 
सूरह आले इमरान 3  आयत (28)
इस क़ुरआनी आयात को सुनने के बाद भारत की काफ़िर हिन्दू अक्सरीयत आबादी मुस्लिम अवाम को दोस्त कैसे बना सकती है? 
ऐसी क़ुरआनी आयतों के पैरोकारों को हिन्दू अपना दुश्मन मानें तो क्यूँ न मानें? दुन्या के तमाम ग़ैर मुस्लिम मुमालिक में बसे हुए मुसलमानों के साथ किस दर्जा ना आक़बत अन्देशाना और ज़हरीला ये पैग़ाम है इसलाम का. 
मुस्लिम ख़वास और मज़हबी रहनुमा कहते हैं कि उनके बुजुर्गों ने पाकिस्तान न जाकर हिंदुस्तान जैसे सैकुलर मुल्क में रहना पसंद किया, इस लिए उन्हें सैकुलर हुक़ूक़ मिलने चाहिएं. 
सैकुलरटी की बरकतों के दावे दार ये लोग सैकुलर भी हैं और ऐसी आयात वाली क़ुरआन के पुजारी भी. 
***
जीम 'मोमिन' निसारुल-ईमान

1 comment:

  1. तुर्की के तानाशाह "तय्यप रिसिप एर्दोगान" नें दिन दहाड़े , चर्च को मस्जिद में बदल डाला , ये सेकुलरटी है ?

    ReplyDelete