Tuesday 20 November 2018

Hindu Dharm Darshan 247



शपथ गीता की, जो कहूँगा सच कहूँगा. (51)

अर्जुन हैरान है भगवान् के भगवत को देख कर - - -
>धृष्टराष्ट्र के सारे पुत्र, अपने समस्त सहायक राजाओं सहित 
तथा भीष्म, द्रोण, कर्ण एवं हमारे प्रमुख योद्धा भी आपके विकराल मुंह में प्रवेश कर रहे हैं. उनमें तो कुछ के शिरों को तो मैं आपके दातों में चूर्णित हुवा देख रहा हूँ.

>>जिस प्रकार नदियों की अनेक तरंगें समुद्र में प्रवेश करती हैं, 
उसी प्रकार यह समस्त महान योद्धा आपके प्रज्वलित मुखों में प्रवेश कर रहे हैं.

>>>हे विष्णु ! मैं देखता हूँ कि आप अपने प्रज्वलित मुखों से सभी दिशाओं के लोगों को निंगले जा रहे हैं.
आप सारे ब्रह्माण्ड को अपने तेज से आपूरित करके अपनी विकराल झुलसाती किरणों सहित प्रकट हो रहे हैं.

*भगवान् ने कहा ---समस्त जगतों को विनष्ट करने वाला काल मैं हूँ 
और मैं यहाँ समस्त लोगों का विनाश करने के लिए आया हूँ. 
तुम्हारे (पांडवों के) सिवा दोनों पक्षो के सारे योद्धा मारे जाएँगे. 
श्रीमद् भगवद् गीता अध्याय - 11  श्लोक - 26-27 -29 -30 -32 

*हिन्दुओ !
 क्या तुम्हारा भगवान् इतना अन्न्याई और पक्ष पाती हुवा करता है? 
गीता ने सारे अवगुण उसमें भर दिए हैं. 
यह तो जिहादियों से भी सौ गुणा जल्लाद है. 
जिहादी सर पे तलवार लेकर खड़ा हो जाता है कि 
"कालिमा पढ़ कर मुसलमान हो जाओ, 
या हमें अपने जीने का हक (जज़िया) अदा करो 
या आखिर शर्त है कि मुझ से मुक़ाबिला करो." 
दो सूरतों में जीवित रहने का हक जिहादी १००% देता है और 
तीसरी में 50%. वह भी अपनी जान की बाज़ी लगा कर. 
यहाँ तो भगवान् अपने और पराय सभी निंगलते जा रहे हैं ?
भीष्म, द्रोण, कर्ण जैसे निर्दोष को भी. 
वह तो भेड़िया नज़र आता है, 
उसके  दातों में यह महान चूर्णित हो रहे हैं. 
मैं तुम्हारी आस्था को चोट नहीं पहुँचाना नहीं चाहता, 
बल्कि तुम्हारी ऐसी आस्था का संहार करना चाहता हूँ. 
मैं चाहता हूँ तुम्हारी पीढियां इन मिथक को धिक्कारें और जीवन तरंग को समझे. जीवन तरंग लौकिक और वैज्ञानिक विचारों में अंगडाई लेती है, 
इन ढोंगियों की रचना तुम्हें सुलाती हैं या फिर कपट सिखलाती हैं.

और क़ुरआन कहता है - - - 
>"ये लोग हैं जिनको अल्लाह तअला ने अपनी रहमत से दूर कर दिया, फिर इनको बहरा कर दिया और फिर इनकी आँखों को अँधा कर दिया तो क्या ये लोग कुरआन में गौर नहीं करते या दिलों में कुफल लग रहे हैं. जो लोग पुश्त फेर कर हट गए बाद इसके कि सीधा रास्ता इनको मालूम हो गया , शैतान ने इनको चक़मा दे दिया और इनको दूर दूर की सुझाई है."
सूरह मुहम्मद - ४७ -पारा २६- आयत (२३-२५)

जब अल्लाह तअला ने उन लोगों को कानों से बहरा और आँखों से अँधा कर दिया और दिलों में क़ुफ्ल डाल दिया तो ये कुरआन की गुमराहियों को कैसे समझ सकते हैं? वैसे मुक़दमा तो उस अल्लाह पर कायम होना चाहिए कि जो अपने मातहतों को अँधा और बहरा करता है और दिलों पर क़ुफ्ल जड़ देता है मगर मुहम्मदी अल्लाह ठहरा जो गलत काम करने का आदी.. शैतान मुहम्मद बनी ए   नव इंसान को चकमा दे गया. की कौम पुश्त दर पुश्त गारों में गर्क़ है.
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जीम 'मोमिन' निसारुल-ईमान

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