Thursday 22 November 2018

Hindu Dharm Darshan 248


शपथ गीता की, जो कहूँगा सच कहूँगा. (52)

भगवान् श्री कृष्ण कहते हैं - - -
>अतः उठ्ठो ! लड़ने के लिए तैयार हो ओ और यश अर्जित करो. अपने शत्रुओं को जित कर संपन्न राज्य का भोग करो.यह सब मेरे द्वारा पहले ही मारे जा चुके हैं और हे सव्यसाची ! तुम तो युद्ध में केवल निमित्त मात्र हो.
द्रोंण, भीष्म,  जयद्रथ, कर्ण और अन्य महँ योद्धा पहले ही मरे जा चुके हैं, अतः तुम उनका वध करो और तनिक भी विचलित न हो ओ. तुम केवल युद्ध करो. युद्ध में तुम अपने शत्रुओं को परास्त करो.  
श्रीमद् भगवद् गीता अध्याय -11   श्लोक -33-  34 

*कृष्ण अपना भयानक रूप दिखला कर अर्जुन को फिर युद्ध के लिए वरग़लाते हैं. 
पिछले अध्यायों में ब्रह्मचर्य का उपदेश देते हैं और अब भोग विलास का मश्विरह. 
कहते हैं काम तो मैंने सब का पहले ही तमाम कर दिया है, 
तुम केवल नाम के लिए उनकी हत्या करो. 
अगर बंदा ऐसा करे तो ब्लेक मेलिंग और भगवान् करे तो गीता ?
और क़ुरआन कहता है - - - 
>''और इनमें (जेहाद से गुरेज़ करने वालों) से अगर कोई मर जाए तो उस पर कभी नमाज़ मत पढ़ें, न उसके कब्र पर कभी खड़े होएँ क्यूं कि उसने अल्लाह और उसके रसूल के साथ कुफ्र किया और यह हालाते कुफ्र में मरे. हैं''
सूरात्तुत तौबा ९ - १०वाँ परा आयत (८४)
इब्नुल वक़्त (समय के संतान) ओलिमा और नेता यह कहते हुए नहीं थकते कि इस्लाम मेल मोहब्बत, अख्वत और सद भाव सिखलता है, आप देख रहे हैं कि इस्लाम जिन्दा तो जिन्दा मुर्दे से भी नफरत सिखलाता है. कम लोगों को मालूम है कि चौथे खलीफा उस्मान गनी मरने के बाद इसी नफ़रत के शिकार हो गए थे, उनकी लाश तीन दिनों तक सडती रही, बाद में यहूदियों ने अज़ राहे इंसानियत उसको अपने कब्रिस्तान में दफ़न किया। 
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जीम 'मोमिन' निसारुल-ईमान

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