Sunday 3 March 2019

खेद है कि यह वेद है - - -26

खेद  है  कि  यह  वेद  है  (26)

हे बृहस्पति ! 
हमें चोरों, द्रोह कर के प्रसन्न होने वालो, 
शत्रुओं, 
पराए धन के इच्छुकों 
एवं देव स्तुति एवं यज्ञ विरोधयों के हाथों में मत सौपना. 
द्वतीय मंडल सूक्त 23(16)

बृहस्पति से महाराज से पंडित जी का निवेदन कि वह असुरक्षित. जैसे हालात होते हैं, वैसे ही दुआ भी होती है.
जीम 'मोमिन' निसारुल-ईमान

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