Wednesday 20 March 2019

सूरह अबस- 80 = سورتہ عبس (अ ब स वतावल्ला)

मेरी तहरीर में - - -
क़ुरआन का अरबी से उर्दू तर्जुमा (ख़ालिस) मुसम्मी
''हकीमुल उम्मत हज़रत मौलाना अशरफ़ अली साहब थानवी''का है,
हदीसें सिर्फ ''बुख़ारी'' और ''मुस्लिम'' की नक्ल हैं,
और तबसरा ---- जीम. ''मोमिन'' का है.
नोट: क़ुरआन में (ब्रेकेट) में बयान किए गए अलफ़ाज़ बेईमान आलिमों के होते हैं,जो मफ़रूज़ा अल्लाह के उस्ताद और मददगार होते हैं और तफ़सीरें उनकी तिकड़म हैं और चूलें हैं.

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सूरह अबस- 80 =  سورتہ عبس
(अ ब स वतावल्ला)

यह क़ुरआन का तीसवाँ और आख़िरी पारा है. इसमें सूरतें ज़्यादः तर छोटी छोटी हैं जो नमाज़ियों को नमाज़ में ज़्यादः तर काम आती हैं. 
बच्चों को जब क़ुरआन शुरू कराई जाती है तो यही पारा पहला हो जाता है. इसमें 78 से लेकर114 सूरतें हैं जिनको (ब्रेकेट में लिखे ) उनके नाम से पहचान जा सकता है कि नमाज़ों में आप कौन सी सूरत पढ़ रहे हैं 
और ख़ास कर याद रखें कि क्या पढ़ रहे हैं.

"पैग़म्बर चीं बचीं हो गए,
और मुतवज्जेह न हुए उससे कि इनके पास अँधा आया है,
और आपको क्या ख़बर कि नाबीना सँवर जाता,
या नसीहत क़ुबूल करता तो इसको नसीहत करना फ़ायदा पहुँचाता,
सो जो शख़्स लापरवाही करता है तो आप उसकी फ़िक्र में पड़े रहते हैं.
हालाँकि आप पर कोई इलज़ाम नहीं है कि वह संवरे,
जो शख़्स आपके पास दौड़ा हवा चला आता है,
और डरता है,
आप इससे बे एतनाई करते हैं.
हरगिज़ ऐसा न कीजिए, क़ुरआन नसीहत की चीज़ है,
सो जिसका दिल चाहे इसे क़ुबूल करे.
ऐसे सहीफों में से है जो मुकर्रम है.
सूरह अबस 80 आयत (1-13) 

आदमी पर अल्लाह की मार. वह कैसा है,
अल्लाह ने उसे कैसी चीज़ से पैदा किया,
नुतफ़े से इसकी सूरत बनाई, फिर इसको अंदाज़े से बनाया.``
फिर इसको मौत दी,
फिर इसे जब चाहेगा दोबारह जिंदा कर देगा.
सूरह अबस 80 आयत (14-22)  

"हरगिज़ नहीं इसको जो हुक्म दिया गया है बजा नहीं लाया,
कि आदमी को चाहिए अपने खाने पर ग़ौर करे.
कि हमने अजीब तौर पर पानी बरसाया,
फिर अजीब तौर पर ज़मीन को फाड़ा,
फिर हमने उसमें ग़ल्ला और तरकारी,
और ज़ैतून और खजूर,
और गुंजान  बाग़ और मेवे,
और चारा पैदा किया.
बअज़ी तुम्हारे और बअज़ी  तुम्हारे मवेशियों के फ़ायदे के वास्ते.
फिर जब कानों में बरपा होने वाला शोर बरपा होगा,
जिस रोज़ आदमी अपने भाई से, अपनी माँ से और अपने बाप से और अपनी बीवी से और अपनी अवलाद से भागेगा,
उस वक़्त हर शख़्स को ऐसा मशगला होगा जो उसको और तरफ़ मुतवज्जेह न होने देगा.
बहुत  से चेहरे उस वक़्त रौशन, शादाँ और खन्दां होगे ,
और बहुत से चेहरों पर ज़ुल्मत होगी,
यही लोग काफ़िर ओ फ़ाजिर होंगे.    , 
सूरह अबस 80 आयत (32-42)

झूट और शर की अलामत ओसामा बिन लादेन मारा गया.  
दुन्या भर में खुशियाँ मनाई जा रही हैं. 
याद रखें ये अलामत को सज़ा मिली है, 
झूट और शर को नहीं. 
सारी दुन्या मुत्तहद हो कर कह रही है कि झूट और शर से इस ज़मीन को पाक किया जाए. 
ये झूट और शर क़ुरआन है जिसकी तअलीम जुनूनियों को तालिबान, जैश ए मुहम्मद वग़ैरा बनाए हुए है. इसकी तबलीग़ और तहरीर दर पर्दा इंसानी ज़ेहन को ज़हरीला किए हुए है. अगर तुम मुसलमान हो तो यक़ीनी तौर पर क़ुरआन के शिकार हो. 
अब मुसलमान होते हुए  मुँह नहीं छिपाया जा सकता और न ओलिमा का ज़हरीला कैप्शूल निगला जा सकता है, वह चाहे उस पर कितनी शकर लपेटें. 
तुम्हारा भरम दुन्या के साथ टूट चुका है.

मुसलमानों!
तुम यक़ीनन " किं कर्तव्य विमूढ़" (क्या करें, क्या न करें) हो रहे हो. 
तुम्हारा इस वक़्त कोई रहनुमा नहीं है, लावारिस हो रहे हो, ओलिमा ठेल ढ़केल कर तुम्हें क़ुरआन के झूट और शर भरी आयतों की तरफ़ ढकेल रहे है जिनके शिकार तुमहारे आबा ओ अजदा हुए हैं. एक वक़्त आएगा कि तुम्हारा वजूद ख़त्म हो रहा होगा और ये हरामी क्रिश्चिनीटी और हिदुत्व के गोद में बैठ रहे होंगे. 
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जीम 'मोमिन' निसारुल-ईमान

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