Wednesday 29 May 2019

सूरह कौसर 108 = سورتہ الکوثر

मेरी तहरीर में - - -
क़ुरआन का अरबी से उर्दू तर्जुमा (ख़ालिस) मुसम्मी
''हकीमुल उम्मत हज़रत मौलाना अशरफ़ अली साहब थानवी''का है,
हदीसें सिर्फ ''बुख़ारी'' और ''मुस्लिम'' की नक्ल हैं,
और तबसरा ---- जीम. ''मोमिन'' का है.
नोट: क़ुरआन में (ब्रेकेट) में बयान किए गए अलफ़ाज़ बेईमान आलिमों के होते हैं,जो मफ़रूज़ा अल्लाह के उस्ताद और मददगार होते हैं और तफ़सीरें उनकी तिकड़म हैं और चूलें हैं.

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सूरह कौसर 108 = سورتہ الکوثر 
(इन्ना आतयना कल कौसर)

यह क़ुरआन का तीसवाँ और आख़िरी पारा है. इसमें सूरतें ज़्यादः तर छोटी छोटी हैं जो नमाज़ियों को नमाज़ में ज़्यादः तर काम आती हैं. 
बच्चों को जब क़ुरआन शुरू कराई जाती है तो यही पारा पहला हो जाता है. इसमें 78 से लेकर114 सूरतें हैं जिनको (ब्रेकेट में लिखे ) उनके नाम से पहचान जा सकता है कि नमाज़ों में आप कौन सी सूरत पढ़ रहे हैं 
और ख़ास कर याद रखें कि क्या पढ़ रहे हैं.

अल्लाह कहता है - - -

"बेशक हमने आपको कौसर अता फ़रमाई,
सो आप अपने परवर दिगार की नमाज़ें पढ़िए,
और क़ुरबानी कीजिए, बिल यक़ीन आपका दुश्मन ही बे नाम ओ निशान होगा"
सूरह कौसर 108 आयत (1 -3

नमाज़ियो !
नमाज़ से जल्दी फ़ुरसत पाने के लिए अकसर आप मंदर्जा बाला छोटी सूरह पढ़ते हो. इसके पसे-मंज़र में क्या है, जानते हो?
सुनो, ख़ुद साख़ता अल्लाह के रसूल की बयक वक़्त नौ बीवियाँ थीं. 
इनके आलावा मुतअददित लौंडियाँ और रखैल भी हुवा करती थीं. 
जिनके साथ वह अय्याशियाँ किया करते थे. 
उनमें से ही एक मार्या नाम की लौड़ी थी, जो हामला हो गई थी. 
मार्या के हामला होने पर समाज में चे-में गोइयाँ होने लगी कि जाने किसका पाप इसके पेट में पल रहा है? बात जब ज्यादः बढ़ गई तो मार्या ने अपने मुजरिम पर दबाव डाला, तब मुहम्मद ने एलान किया कि मार्या के पेट में जो बच्चा पल रहा है, वह मेरा है. 
ये एलान-रुसवाई के साथ मुहम्मद के हक़ में भी था कि 
ख़दीजा के बाद वह अपनी दस बीवियों में से किसी को हामला न कर सके थे, गोया अज़-सरे-नव जवान हो गए (अल्लाह के करम से). 
बहरहाल लानत मलामत के साथ मुआमला ठंडा हुआ. 
इस सिलसिले में एक तअना ज़न को मुहम्मद ने उसके घर जाकर क़त्ल भी कर दिया. 
नौ महीने पूरे हुए, मार्या ने एक बच्चे को जन्म दिया, 
मुहम्मद की बांछें खिल गई कि चलो मैं भी साहिबे-औलादे-नरीना हुवा. 
उन्होंने लड़के की विलादत की खुशियाँ भी मनाईं. 
उसका अक़ीक़ा भी किया, दावतें भी हुईं. 
उन्हों ने बच्चे का नाम रखा अपने मूरिसे-आला के नाम पर 
'इब्राहीम'
इब्राहीम ढाई साल की उम्र पाकर मर गया, 
एक लोहार की बीवी को उसे पालने के किए दे दिया था, जिसके घर में भरे धुंए से बच्चे का दम घुट गया था. 
खुली आँखों से जन्नत और दोज़ख देखने वाले और इनका हाल बतलाने और हदीस फ़रमाने वाले अल्लाह के रसूल के साथ उनके मुलाज़िम जिब्रील अलैहिस्सलाम ने उनके साथ कज अदाई की और अपने प्यारे रसूल के साथ अल्लाह ने दग़ाबाज़ी, 
कि उनका ख्वाब चकनाचूर हो गया. 
मुहल्ले की औरतों ने फ़ब्ती कसी - - -
"बनते हैं अल्लाह के रसूल और बाँटते फिरते है उसका पैग़ाम, बुढ़ापे में एक वारिस हुवा, वह भी लौड़ी जना, उसको भी इनका अल्लाह बचा न सका." 
मुहम्मद तअज़ियत की जगह तआने पाने लगे. 
बला के ढीठ मुहम्मद ने अपने हरबे से काम लिया, 
और अपने ऊपर वह्यी उतरवाई, जो सूरह कौसर है. 
अल्लाह उनको तसल्ली देता है 
कि तुम फ़िक्र न करो मैं तुमको, (नहीं! बल्कि आपको) इस हराम जने इब्राहीम के बदले जन्नत के हौज़ का निगरान बनाया, 
आकर इसमें मछली पालन करना. 
अच्छा ही हुवा लौंडी ज़ादा गुनहगार बाप का बेगुनाह मासूम बचपन में जाता रहा वर्ना मुहम्मदी पैग़म्बरी का सिलसिला आज तक चलता रहता और पैग़म्बरे-आख़िरुज़्ज़मां का ऐलान भी मुसलमानों में न होता. 
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जीम 'मोमिन' निसारुल-ईमान

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