Thursday 16 May 2019

खेद है कि यह वेद है

खेद  है  कि  यह  वेद  है  (82)

अथर्ववेद - अश्लीलता के कुछ और नमूने वेदों में किस प्रकार अश्लीलता, जन्गी बातों और जादू-टोने को परोसा गया है.
धर्म-युद्ध: वेदों को गंदगी देख कर आप भी करने लगेंगे इनसे नफरत
हिन्दुओं के अन्य धर्मग्रंथों रामायण, महाभारत और गीता की भांति वेद भी लडाइयों के विवरणों से भरे पड़े है. उनमें युद्धों की कहानियां, युद्धों के बारे में दांवपेच,आदेश और प्रर्थनाएं इतनी हैं कि उन तमाम को एक जगह संग्रह करना यदि असंभव नहीं तो कठिन जरुर है. वेदों को ध्यानपूर्वक पढने से यह महसूस होने लगता है की वेद जंगी किताबें है अन्यथा कुछ नहीं। इस सम्बन्ध में कुछ उदाहरण यहाँ वेदों से दिए जाते है ....ज़रा देखिये

वित्तौ.............................गूहसि (अथर्व वेद २०/१३३)                        अर्थात: हे लड़की, तुम्हारे स्तन विकसित हो गए है. अब तुम छोटी नहीं हो, जैसे कि तुम अपने आप को समझती हो। इन स्तनों को पुरुष मसलते हैं। तुम्हारी माँ ने अपने स्तन पुरुषों से नहीं मसलवाये थे, अत: वे ढीले पड़ गए है। क्या तू ऐसे बाज नहीं आएगी? तुम चाहो तो बैठ सकती हो, चाहो तो लेट सकती हो.   
(अब आप ही इस अश्लीलता के विषय में अपना मत रखो और ये किन हालातों में संवाद हुए हैं। ये तो बुद्धिमानी ही इसे पूरा कर सकते है ये तो ठीक ऐसा है जैसे की इसका लिखने वाला नपुंसक हो या फिर शारीरिक तौर पर कमजोर होगा तभी उसने अपने को तैयार करने के लिए या फिर अपने को एनर्जेटिक महसूस करने के लिए किया होगा या फिर किसी औरत ने पुरुष की मर्दानगी को ललकारा होगा) तब जाकर इस प्रकार की गुहार लगाईं हो.
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जीम 'मोमिन' निसारुल-ईमान

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