Sunday 12 May 2019

खेद है कि यह वेद है (78)

खेद  है  कि  यह  वेद  है  (78)
अश्वस्या............................तनुवशिन || (अथर्व वेद ४-४-८) अर्थ: हे देवताओं, इस आदमी के लिंग में घोड़े, घोड़े के युवा बच्चे, बकरे, बैल और मेढ़े के लिंग के सामान शक्ति दो 


अद्द्यागने............................पसा:||
 (अथर्व वेद ४-४-६) 
अर्थ: 
हे अग्नि देव, हे सविता, हे सरस्वती देवी, 

तुम इस आदमी के लिंग को इस तरह तान दो जैसे धनुष की डोरी तनी रहती है 

* और छप्पर तान दो इन तने हुए लिंगों पर , ऐसे कि जनता को कुछ नज़र न आए.

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जीम 'मोमिन' निसारुल-ईमान

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