Thursday 23 May 2019

गणेश जी  
अनोखे, आश्चर्य जनक, अलौकिक और हास्य स्पद भी, 
 गणेश जी हिन्दू धर्म के अजीब व् ग़रीब देवता हैं. 
हर काम की शुरुआत गणेश जी के नाम से होती है ताकि शुभ शुभ हो, 
भले ही काम अनैतिक हो, गणेश जी सब के लिए सदा सहाय रहते हैं.
कहते हैं कि माता पारवती हर रोज़ प्रातः स्नान से पहले अपने शरीर का मैल रगड़ रगड़ कर साफ़ करतीं और उस मैल को इकठ्ठा करती रहतीं, 
जब मैल बहुत सी इकठ्ठा हो गई तो उसका एक पुतला बनाया 
और अपने द्वार पर  दरबान के तौर पर बैठा दिया , 
शिव जी जब घर आए तो दरबान ने उन्हें भीतर जाने से रोका. 
शिवजी जैसा कि सब जानते हैं कि बहुत ही जाह व् जलाल वाले देव थे, 
आग खाते थे अंगार उगलते थे, बर्फानी बाबा जलाली बाबा बन गए.
ग़ुस्से में आकर उन्होंने होंने दरबान का सर क़लम कर दिया . 
पारबती जी शोर सुन कर बाहर आईं और दरबान का कटा सर देख कर कहा, 
यह क्या किया आपने महाराज ? 
अफरा तफ़री में उन्हें एक हाथी का सिट कटा हुवा पड़ा मिला 
और उनहोंने उसे दरबान के कटे हुए धड पर फिट कर दिया. 
तब से वह मेल निर्मित दरबान गणेश बन गए, 
माता पारबती और पिता शिव का प्रीय पुत्र.
कुछ की धारणा है कि गणेश जी देह की मैल से नहीं गाय के गोबर से निर्मित हुए हैं, तभी तो उनको गोबर गणेश भी कहा जाता हैं.
पृथ्वी परिक्रमा का मुक़ाबला देवों के बीच संपन्न हुवा, 
उसमे गणेश जी अव्वल आए, कि उन्हों ने बजाय पूरी धरती को नापने से, 
अपनी सवारी चूहे पर सवार होकर अपने माता पिता की परिक्रमा कर लिया. 
सब से पहले. बाकी तकते रह गए. 
अतः ब्रह्मणों ने उनको पहला नंबर दिया. 
इसी रिआयत से उनके नाम से हर काम की शुरुआत होती है .
इस गणेश कथा पर हर जगह सवालिया निशान खड़े होते हैं.  
मगर मजाल है किसी की सवाल कर दे ,
 सवालों से पहले आस्था की दीवार खड़ी हो जाती है .
आस्था ! 
बड़ा ही गरिमा मयी शब्द है, बहुत ही मुक़द्दस, 
इसके आगे हसिया नुमा सवालिया निशान खड़ा किया तो 
उसि हंसिया से सवाली का सर क़लम कर दिया जाएगा .
जय श्री गणेश !! 
मैं भी आस्थावान हुवा >
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जीम 'मोमिन' निसारुल-ईमान

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