Saturday 11 July 2020

ब्रह्मा विष्णु महेश

ब्रह्मा विष्णु महेश       

(पहली क़िस्त) 
कहा जा सकता है कि बाबा इब्राहीम दुन्या के  पहले  आम इन्सान हैं जिनके हालात और जीवनी हमें मयस्सर हैं. राजाओं और बादशाहों की जानकारी तो इतिहास का विषय है ही मगर आम आदमी के हालात कम ही ख़ातिर में लाए जाते हैं.
इब्राहीम एक ग़रीब पथर कटे आज़र (तेराह) का बेटा था जिसे बाप कहा करता , 
बेटे हिजरत (पलायन) कर बाहर दुन्या दूध और शहद से भरी हुई है - - - 
उसने हिजरत की, उसे दूध और शहद  के दर्शन तो न  हुए, 
हाँ काँटों भरा परिवेश ज़रूर मिला और उस पर चल कर इब्राहीम मानव इतिहास का मूल पुरुष बन गया.
इब्राहीम की शोहरत उसे अरब दुन्या से निकाल कर ईरान लाई 
जिसे आर्यन सर पर लादे हुए हिन्दुतान ले आए. 
यहाँ के मूल निवास्यों के  धार्मिक रुझान का जायज़ा लेते हुए 
इब्राहीम को ब्रह्मा नाम देकर आर्यन ने नए नए ग्रंथों की संरचना की. 
इब्राहीम का पहला नाम जोकि उसके पिता ने रख्का था अब्राम था, 
मिस्र पहुँच कर वह अब्राहम हो गया, 
मक्का पहुँचा तो इब्राहीम हुवा, 
ईरान पंहुचा तो बराहम हुवा. 
आर्यन द्वारा लाया गया भारत में इब्राहीम, ब्रहम होते हुए ब्रह्मा बन गया, 
उसकी बुलंदी ब्रह्मांड और उसकी औलादें तथा कथित मुक़द्दस बरहमन हुईं 
जो कि ब्रह्मा के मुंह से निर्मित हुईं.
इब्राहीम ब्रह्मा बन कर अलौकिक बन गया. 
उसके शरीर अंगों से बह्मांड का निर्माण हुवा. 
इस निर्माण का विस्तार विष्णु महाराज को सौंपा गया,
***
  ब्रह्मा विष्णु महेश 

(दूसरी  क़िस्त)  
विष्णु भगवान के बारे में मेरी मालूमात अधूरी है, 
जितना सुना सुनाया मिला वही बहुत है.
विष्णु महाराज का वजूद भी अजीब व् ग़रीब है, 
ग्रन्थ रचना कार ब्राह्मणों ने इन्हें समुद्र से बरामद किया. 
मेरा क़यास है कि यह भी आर्यन का आयातित तुक्का है कि 
इनकी हस्ती पानी सैलाब और कश्ती से है, 
यह हो सकते है आर्यन पूर्वज नूह जिन्हें मुसलमान नूह अलैहिस्सलाम कहते है, 
समुद्र उत्पत्ति विष्णु हों. नूह की पहचान भी सैलाब के पानी से है.
"वैष्णव जन तो उनको कहिए जो पैर पराई जाने रे " 
यह कौन थे ? दुन्या के दुःख दर्द जानने वाले ?? 
शाश्त्र तो विष्णु को ब्रह्मा के शरीर अंगों को स्थापित और संचालित करने का काम दिया गया, बतलाते हैं  जिसके अंतर्गत चार मानव जातियां विष्णु ने संचालित कीं -
ब्रह्मण - - - जो ब्रह्मा के मुख से पैदा हुवे और धरती लोक के परमेश्वर बने.
क्षत्रीय - - - ब्रह्मा के बाहों से निर्मित हुए जिनको कर्तव्य स्वरूप ब्राह्मणों का संरक्षण का काम मिला. यह प्रतापी राजा और महा राजा हुवा करते मगर होते बरहमन दास.
वैश्य - - - तीसरे दर्जे के मानुस हुए. इनको बस इतना ही समझे जैसे चीटियों में मज़दूर चीटियाँ होती हैं. यह ब्रह्मा के जांघों से निर्मित हुए अतः ब्राह्मणों और क्षत्रीयों की सेवा दौड़ दौड़ कर किया करें और अपने जंघा धर्म का पालन करें.
चौथे शूद्र - - - तीनों वर्गों की सेवा और सेवा का मेवा के नाम पर ? 
इनका ही जूठन खाएँ, वह भी मिटटी के बर्तनों में, 
वह भी जो साबूत न हों, टूटे फूटे हुए हों.
विसतार मनु स्मृति में देखें, रोंगटे खड़े कर देने वाले अत्याचार. 
मुल्लाजी इब्राहीम को नूह की दसवीं संतान मानते हैं और 
नूह को आदम की दसवीं संतान. 
आदम शायद दुन्या का पहला सभ्य पुरुष हुवा हो 
जिसने नग्नता को ढकने का आभास किया. 
आदम की तौरेती और कुरानी कहानियां पूरी तरह से कपोल कल्पित हैं, 
इतना ज़रूर लगता है कि 6500 वर्ष पहले कोई इंसानों को पहला पूर्वज हुवा हो जिसे इंसानियत ने मील का पथर बनाया हो ? 
***
ब्रह्मा विष्णु महेश 

(तीसरी किस्त) 
ब्रह्मा और विष्णु के बाद आर्यन ने तीसरा ईश्वर हिदुस्तानी को चुना है, 
वह हैं महेश यानी शिव जी. यह महाशय ब्रह्मा के शरीर अंगों से संचालित विष्णु के सृष्टि का सर्व नाश कर देते हैं.
इन तीनों ईश्वरों का कार्य काल ढाई अरब वर्ष का होता है .
शिव जी भी हिन्दू धर्म के अजीब व् ग़रीब हस्ती हैं. 
कहते हैं कि शिव जी जब क्रोधित होते थे तो डमरू वादन करते, 
उनके ताण्डव नृत से  पर्वत हिल जाते, 
जैसे क़ुरान कहता है कि दाऊद अलैहिस्समन के साथ पहाड़ सजदा करते थे.
शिवजी बहुत ग़ुस्सैल हुवा करते थे.
उनकी एक ख़ूबी और भी है कि वह शांत होने पर अपनी जड़ी बूटी (भांग और गांजा )खा पी कर, शरीर पर भभूत लगा कर पार्वती के बगल में बैठ जाते.
इनका वस्त्र हिरन की खाल होती और भूषन नाग देवता.
आज भी  शिवजी की वेश भूषा में लाखों साधक भारत के शहरों और सड़कों पर देखे जा सकते हैं. 
यह जनता से दंड स्वरूप भिक्षा वसूलते हैं .
अनोखे शिव लिंग (तनासुल) की चर्चा इतनी ही काफ़ी है कि इसे देश भर में मंदिरों में देखे जा सकते हैं जिसकी पूजा नर नारी सभी करते है.
शिव लिंग के विषय में मेरा ज्ञान अधूरा हैं, 
इतना ही सुना है कि क्रोधित होकर शिव जी ने अपना लिंग काट कर 
ज़मीन पर फेंक दिया था, जनता से कुछ न बना तो इसे पूजने लगी.
भारत की एक विचित्र जंतु नागा साधु होते हैं. 
शिव जी मात्र हिरन खाल शरीर पर लपेटते, 
नागा जीव उस से भी मुबर्रा होते है. मादर जाद नंगे, 
शिव बूटी ग्रहण करने के लिए चिलम एक मात्र इनकी संपति होती है.
मैं क़ुरआन के रचनाकार पर गरजता रहता हूँ, 
कोई इस गाथा पर बरसने वाला है ? 
***
जीम 'मोमिन' निसारुल-ईमान

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