Friday 17 July 2020

ख़ुदा कहता है मुझे पूजो नहीं, मुझ से लड़ो

ख़ुदा  कहता है मुझे पूजो नहीं, मुझ से लड़ो 

तू ऐसा बाप है जो अपने बेटे को कुश्ती के दाँव पेंच सिखलाता है,
ख़ुद उससे लड़ कर,
चाहता है कि मेरा बेटा मुझे परास्त कर दे.
तू अपने बेटे को डांटता है यहाँ तक कि गाली भी दे देता है,
ये कहते हुए कि ''अगर मेरी औलाद है तो मुझे चित करके दिखला'',
बेटा जब ग़ैरत में आकर बाप को चित कर देता है,
तब तू मुस्कुराता, पुलकित होता है और शाबाश कहता है.

प्रकृति पर विजय पाना ही मानव का लक्ष है,
उसको पूजना नहीं.
मेरा ख़ुदा कहता है तुम मुझे हल हथौड़ा लेकर तलाश करो,
माला और तस्बीह लेकर नहीं.
तुम खोजी हो तो एक दिन वह सब पा जाओगे जिसकी तुम कल्पना करते हो,
तुम एक एक इंच ज़मीन के लिए लड़ते हो,
बेवकूफ़ो! मैं तुम को एक एक नक्षत्र देने के लिए तैयार हूँ.
तुम लम्बी उम्रों  की तमन्ना करते हो,
मैं तुमको मरने ही नहीं दूँगा जब तक तुम न चाहो ,
तुम तंदुरस्ती की आरज़ू करते हो,
मैं तुमको सदा जवान रहने का वरदान दूंगा,
शर्त है कि, तुम 
मेरे छुपे हुए राज़ो-नियाज़ को तलाशने की जद्दो-जेहाद करो,
मुझे मत तलाशो,
मेरे नाम की लगी हुई इन रूहानी दूकानों पर तुम को 
अफ़ीमी नशा के सिवा कुछ न मिलेगा.
तुम जा रहे हो किधर ? सोचो,

पश्चिम जागृत हो चुका है. वह आन्तरिक्ष में आशियाना बना रहा है,
तुम आध्यात्म के बरगद के साए में बैठे पूजा पाठ और नमाज़ों में मग्न हो.
जागृत लोग नक्षर में चले जाएँगे तुम तकते रह जाओगे,
तुमको भी  ले जाएंगे साथ साथ,
मगर अपना ग़ुलाम  बना कर,
जागो, 
मोमिन सभी को जगा रहा है.
***

जीम 'मोमिन' निसारुल-ईमान

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