Saturday 4 July 2020

सिर्फ़ इंसानियत.

सिर्फ़ इंसानियत. 

पाकिस्तान अपने आप में एक क़ैद ख़ाना बन गया है 
और हर पाकिस्तानी उम्र क़ैद की सज़ा पाने वाला एक क़ैदी है. 
जहाँ पर क़ैदियों की ज़रा सी ज़बानी लग़ज़िश भी ख़ताए-अज़ीम होती है.
एक ईसाई बच्ची को इस बात पर सज़ा दे दी गई 
कि वह इस्लामी शरीअत की समझ नहीं रखती थी.
बुत शिकन मुसलमान हर ख़ाम माल के बने बुतों को तोड़ने में 
बहादुरी की पहचान रखते हैं, 
मगर वही  मुसलमान हवा के बने बुत अल्लाह से, उनकी हवा खिसकती है. 
ख़ुद तो ख़ुद किसी दूसरे के लिए भी वह साहिबे ईमान होते हैं, 
क्यूँ कि उस से भी हवा के बुत की बुराई उन्हें बर्दाश्त नहीं.
वह एक तरफ़ कहते है अल्लाह सब का है मगर दूसरी तरफ़ बन्दा 
जब अपने अल्लाह पर एहतेजाज करता है तो वह 
उससे अपने थमाए हुए अल्लाह को छीन लेता हैं.
ऐसा मुल्क जहाँ आज इक्कीसवीं सदी में इंसान को इतना 
अख़्तियार नहीं कि वह अपने ख़ालिक़ की तख़लीक़ है, 
वह अपने बाप को कुछ भी कह सकता है अगर उसकी हक़ तलफ़ी हो रही हो.
दूसरी तरफ़ इनके ज़ेहनी दीवालिया पन देखिए कि 
"मिस्टर 10% के दलाल" कहे जाने वाले ज़रदारी को अपने सर पर बिठाए हुए हैं . इनकी जिहादी फ़ौज अब भारत के हाथों रुसवा होने की बजाए 
पूरी दुन्या के हाथों ज़िल्लत उठाएगी. 
छींक आने पर नाक काटने वाले शरीअत के शैदाई नई 
क़द्रों के सामने नाक रगड़ेंगे मगर इनके ग़ुनाहों की सज़ा कम न होगी. 
अब वह वक़्त ज्यादः दूर नहीं कि इंसान का मज़हब इंसानियत होगा, 
सिर्फ़ इंसानियत. 
***
जीम 'मोमिन' निसारुल-ईमान

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