Monday 6 July 2020

धर्म काँटे का धर्म

धर्म काँटे का धर्म 

ढोंग और ढंकोसला को धर्म का नाम दे कर उनको क़ौमियत में तक़सीम कर दिया गया है. हिदू धर्म, इस्लाम, धर्म, ईसाई धर्म वग़ैरह वग़ैरह, 
जब कि धर्म सिर्फ़ एक होता है किसी वस्तु, जीव या व्यक्ति का सद ग़ुण - 
जैसे (तराजू के) काँटे का धर्म (सदग़ुण) उस की सच्ची तोल, 
फूल का धर्म ख़ुशबू, 
साबुन का धर्म साफ़ करना 
और वैसे ही इंसान का धर्म इंसानियत. 
इसी धर्म का अरबी पर्याय ईमान है, जिस पर इस्लाम ने कब्ज़ा कर लिया है. 
और इसके मअनी बदल दिए हैं. 
इस्लाम अभी चौदह सौ साल पहले आया, 
ईमान इंसान की पैदाइश के साथ साथ हज़ारों सालों से क़ायम है. 
इंसान इर्तेक़ाई (रचना कालिक ) मरहलों में है, 
ये रचना-काल समाप्त हो, ढोंग और ढंकोसलों का कूड़ा इसकी राह से दूर हो जाए तो ये इंसान मानव से महा मानव बन जाएगा. 
ख़ास कर मुस्लिम समाज जो पाताल में जा रहा है, 
इस को जगाना मेरे लिए ज़रूरी है क्यूँ कि इसी से मैं वाबिस्ता हूँ और 
यह ख़ुद अपना दुश्मन है. 
कोई इसका दोस्त नही.  
इसको तअस्सुब या जानिब दारी न समझा जाए, 
बल्कि कमज़ोर तबक़े की मदद है ये.
***
जीम 'मोमिन' निसारुल-ईमान

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