Wednesday 8 July 2020

क़ुरआन नज़र ए आतिश

क़ुरआन  नज़र ए आतिश      
        
अमरीका के फ्लोरिडा चर्च की तरफ़ से एलान है कि 
वह 11-9 को क़ुरआन  को नज़र ए आतिश करेंगे. 
मुसलमानों के लिए ये वक़्त है ख़ुद से मुहासबा तलबी का, 
अपने ओलिमा की ज़ेहनी ग़ुलामी छोड़ कर इस बात पर नज़रे-सानी करने का है 
कि वह अब अपना फ़ैसला ख़ुद करें, 
मगर ईमानदारी के साथ. 
मुसलमानों को चाहिए कि क़ुरआन का मुतालेआ करें, न कि तिलावत. 
देखें कि ज़माना हक़ पर है या क़ुरआन ? 
मैं कुछ आयतें आपको पढ़ने का मशविरा दे रहा हूँ - - -
सूरह        आयत

बकर   - 190-192-214-244-245-
इमरान- 167- 168-170
निसा   -75-77
मायदा- 35
इंफाल   -15-16-17-39- 43- 64 -67
तौबः 5 - 16- 29 -41- 45- 46 - 47 -53 - 84 - 86 -
मुहम्मद -   20 -21 -22
फ़त ह -    16-20-23
सफ़-   10-11
यह चंद आयतें बतौर नमूना हैं, 
वैसे पूरा का पूरा क़ुरआन ज़हर में बुझा हुआ है.
इन आयातों में जेहाद की तलक़ीन की गई है. 
देखिए कि किस हठ धर्मी के साथ दूसरों को क़त्ल कर देने के एह्कामात हैं. 
मुसलमान अल्लाह के हुक्म पर जहाँ भी उसको मौक़ा मिलता है, 
क़ुरआनी अल्लाह के मुताबिक़ ज़ुल्म ढाने लगता है. 
ऐसी क़ौम को जदीद इंसानी क़द्रें ही अब तक बचाए हुए हैं, 
वरना माज़ी के आईने को देख कर जवाब देने में अगर हैवानियत पहुंचे, 
तो मुसलमानों का सारी दुन्या से नाम ओ निशान ही ख़त्म हो जाय. 
स्पेन में आठ सौ साल हुक्मरानी के बाद जब मुसलमान अपने आमालों के भुगतान में आए तो दस लाख मुसलमान दहकती हुई मसनवी दोज़ख़ में झोंक दिए गए. 
अभी कल की बात है कि ईराक में दस लाख मुसलमान चीटियों की तरह मसल दिए गए. 
ऐसा चौदह सौ सालों से चला आ रहा है, जिसकी ख़बर आलिमान दीन आप को झूट  के रूप में देते हैं कि वह सब शहादत के सीगे में दाख़िल हो कर जन्नत नशीन हुए. 
इंसानों को यह सज़ाएँ क़ुरआनी आयतें दिलवाती हैं. 
इसकी ज़िम्मे दारी इस्लाम ख़ोर ओलिमा की हमेशा से रही है. 
आप लोग सिर्फ़ शिकारयों के शिकार हैं.
झूट को पामाल करने के लिए जब तक आप ज़माने के साथ न होंगे, 
ख़ुद को पायमाल करते रहेंगे. 
अगर आप थोड़े से भी इंसाफ़ पसंद हैं तो 
ख़ुद हाथ बढ़ा कर ऐसी मकरूह इबारत आग में झोंक देंगे.
***
मुहासबा=हिसाब-किताब  मुतालेआ= अद्धयन  तलक़ीन=प्रवचन  एह्कामात=आज्ञाएं मसनवी=कृतरिम .

जीम 'मोमिन' निसारुल-ईमान

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