Thursday 4 October 2018

Hindu Dharm Darshan 235


शपथ गीता की, जो कहूँगा सच कहूँगा. (38)
भगवान् कृष्ण कहते हैं - - -
>मानवीय गणना के अनुसार एक हज़ार युग मिल कर ब्रह्मा का एक दिन होता है 
और इतनी ही बड़ी ब्रह्मा की एक रात भी होती है.  
**वैदिक मतानुसार इस संसार से प्रयाण करने  के दो मार्ग हैं-- 
एक प्रकाश का दूसरा अन्धकार का. 
जब मनुष्य प्रकाश मार्ग से जाता है तो वह वापस नहीं आता, 
किन्तु अंधकार मार्ग से जाने वाला पुनः लौट आता है. 
श्रीमद् भगवद् गीता अध्याय  - 8 - श्लोक -17 -27 
>हिन्दू मिथक अभी तक चार युगों का वर्णन करता है 
जो अविश्नीय तो हैं ही विज्ञान के दृष्टि से कोरी कल्पना कहे जा सकते . 
अब अगर आप की कल्पना शक्ति काम करे तो १००० युगों को कल्पित करें,
जो कि ब्रह्मा का एक दिन होता है. 
ब्रह्मा का युग कितना बड़ा होगा ? 
एक के दाहिने ओर ज़ीरो लगाते लगाते मर जाइए, 
युग के छोर तक जाना मुमकिन न होगा . 
भलाई इसी में है कि मिथ्य को सच मान लीजिए और 7०-80 साल के जीवन को झूट के हवाले करके ख़त्म करिए. 
आपकी नस्लों का उद्धार शायद आप से छुटकारा पाने के बाद ही हो सकता है.
  और क़ुरआन कहता है - - - 
''और हमने ज़मीन में इस लिए पहाड़ बनाए कि ज़मीन इन लोगों को लेकर हिलने लगे.और हमने इसमें कुशादा रस्ते बनाए ताकि वह लोग मंजिल तक पहुँच सकें और हम ने आसमान को एक छत बनाया जो महफूज़ है. और ये लोग इस से एराज़ किए (मुंह फेरे) हुए हैं. और वह ऐसा है जिसने रात और दिन बनाए, सूरज और चाँद. हर एक, एक दायरा में तैरते है. और हमने आप से पहले भी किसी बशर को हमेशा रहना तजवीज़ नहीं किया. फिर आप का इंतक़ाल हो जाए तो क्या लोग हमेश हमेशा दुन्या में रहेंगे. हर जानदार मौत का मज़ा चक्खेगा और हम तुमको बुरी भली से अच्छी तरह आज़माते हैं. और तुम सब हमारे पास चले आओगे और यह काफ़िर लोग जब आपको देखते हैं तो बस आप से हँसी करने लगते हैं. क्या यही हैं जो तुम्हारे मअबूदों का ज़िक्र किया करते हैं? और यह लोग रहमान के ज़िक्र पर इंकार करते हैं. इंसान जल्दी का ही बना हुवा है. हम अनक़रीब आप को अपनी निशानियाँ दिखाए देते हैं ,पस ! तुम हम से जल्दी मत मचाओ. और ये लोग कहते हैं वादा किस वक़्त आएगा? अगर तुम सच्चे हो, काश इन काफ़िरों को उस वक़्त की खबर होती. जब ये लोग आग को न अपने सामने से रोक सकेंगे न अपने पीछे से रोक सकेंगे. और न उनकी कोई हिमायत करेगा. बल्कि वह उनको एकदम से आलेगी. - - -''
सूरह अंबिया -२१ परा १७ -आयत (३१-४०)
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जीम 'मोमिन' निसारुल-ईमान

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