Friday 28 December 2018

Hindu Dharm Darshan 263


शपथ गीता की, जो कहूँगा सच कहूँगा (70)

भगवान् श्री कृष्ण कहते हैं - - -
>यदि तुम मेरे निर्देशानुसार काम नहीं करते और युद्ध में प्रवृत नहीं होते हो तो तुम कुमार्ग पर जाओगे. तुम्हें अपने स्वभाव वश युद्ध में लगना चाहिए.
>>इस प्रकार मैंने तुम्हें गुह्यतर ज्ञान बतला दिया. इस पर पूरी तरह मनन करो.और तब जो चाहो करो. 
श्रीमद् भगवद् गीता अध्याय -  18 श्लोक 59- 63 
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भगवान् श्री कृष्ण कहते हैं - - -
>मेरा शुद्ध भक्त मेरे मेरे संर क्ष ण में समस्त प्रकार के कार्यों में संलग्न रह कर भी मेरी कृपा से नित्य तथा अविनाशी धाम को प्राप्त होता है.
>>सारे कार्यों के लिए मुझ पर निर्भर रहो.और मेरे संर क्ष ण में सदा कर्म करो.ऐसी भक्ति में मेरे प्रति पूर्णतया सचेत रहो.
>>>लेकिन यदि तुम मिथ्या, अहंकार वश ऐसी चेन में काम नहीं करोगे और मेरी बात नहीं सुनोगे, तो तुम विनष्ट हो जाओगे. 
श्रीमद् भगवद् गीता अध्याय -18    श्लोक 56-57 -58 
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क़ुरआन और गीता एक ही सिक्के के दो पहलू हैं.
जीम 'मोमिन' निसारुल-ईमान

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