Sunday 18 August 2019

राम नाम

राम नाम 

ISIS और दूसरी इस्लामी तंज़ीमों के मानव समाज पर ज़ुल्म व् सितम देख कर बजरंग दल को हिंदुत्व का जोश आया कि वह भी इन की नक़्ल में प्रतीक आत्मक मुज़ाहिरा करें, 
कि वह भी उनकी तरह मानवता के, ख़ास कर मुसलमानों के दुश्मन हो सकते है. हालांकि इनका प्रदर्शन राम लीला के लीला जैसा हास्य स्पद है. 
मदारियों की शोब्दा बाज़ी की तरह. 
बजरंग दल का कमांडर अकसर स्वर्ण होता है, बाक़ी फ़ौजी दलित और ग़रीब होते हैं. 
वह स्वर्ण इन दलितों को पूर्व तथा कथित वानर सेना आज तक बनाने में सफल है. 
वह इन्हीं में से एक को दास्ता के प्रतीक हनुमान बना देते हैं 
जो अपना सीना चीर कर दलितों को दिखलाता है कि उसके भीतर छत्रीय राम का वास है.
विनय कटिहार, कल्याण सिंह, राम विलास पासवान और उदिति नारायण जैसे सुविधा भोगी हर समाज में देखे जा सकते हैं. यह मौजूदा मनुवाद के दास हनुमान हैं .
12% मनुवादियों ने बाक़ी मानव जाति को राक्षस, पिशाच, वानर, शुद्र, अछूत जैसे नाम देकर इनके साथ अमानवीय बर्ताव किया है. 
इन्हीं में से जिन लोगों ने दासता स्वीकार करके इनके अत्याचार में शाना बशाना हुए और इनके लिए अपनी जान आगे कर दिया, 
उनको हनुमान बना कर उनकी बिरादरी के लिए पूजनीय बना दिया .
राम के आगे हाथ जोड़ कर घुटने टेके हनुमान देखे जा सकते हैं. 
शूर वीरों के लिए, इनकी दूसरी तस्वीर होती है 
सीना फाड़ कर राम सीता की, 
जो आस्था और प्रेम को दर्शाती है, 
उनके दास साथियों के लिए . 
यही नहीं मौक़ा पड़ने पर यह ब्रह्मण भी हनुमान पूजा में शामिल हो जाते हैं मगर उनको अपने घाट पर पानी के लिए फटकने नहीं देते. 
किस क़दर धूर्तता होती है इनके दिमाग़ में. 
जहाँ मजबूर होकर यह दमित सर उठाते हैं, 
तो मनुवाद इनको माओ वादी या नक्सली कह कर दमन करते है.
दमितों के सब से बड़े दुश्मन यही मुसलसल बनाए जाने वाले हनुमान होते हैं. 
यह अपने ताक़त का प्रदर्शन कभी मुसलमानों पर करते हैं तो कभी ईसाइयों पर जोकि अस्ल में दलित और दमित ही होते हैं 
मगर मनुवाद से छुटकारा लेकर धर्म बदल लेते है .
कितनी मज़बूत घेरा बंदी है, मनुवाद की .   

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जीम 'मोमिन' निसारुल-ईमान

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