Friday 23 August 2019

इब्लीस मरदूद,


इब्लीस मरदूद, 

"अल्लाह फ़रिश्तों के सामने ये एलान करता है कि हम ज़मीन पर अपना एक नाएब इंसान की शक्ल में बनाएंगे. 
फ़रिश्ते इस पर एहतेजाज करते हैं कि तू ज़मीन पर फ़सादियों को पैदा करेगा, 
जब कि हम लोग तेरी बंदगी के लिए काफ़ी हैं. 
मगर अल्लाह नहीं मानता और एक बे इल्म माटी के माधव आदम को बना कर, 
बा इल्म फ़रिश्तों की जबान बंद कर देता है. 
फिर हुक्म देता है कि इसे सजदा करो !
अल्लाह के हुक्म से तमाम फ़रिश्ते आदम के सामने सजदे में गिर जाते हैं, 
सिवाए इब्लीस के. 
इब्लीस मरदूद, माज़ूल और मातूब होता है. 
इसे जन्नत से बे दख़्ल कर दिया जाता है.
आदम और हव्वा जन्नत में अल्लाह की कुछ हिदायत के बाद आज़ाद रहने लगते हैं. 
हस्बे आदत अल्लाह बनी इस्राईल को क़ायल करता है कि 
हमारी किताब क़ुरआन भी तुम्हारी ही किताबों की तरह है. 
इस के बाद क़यामत और आख़िरत की बातें करता है." 
आदम और हव्वा की तौरेती कहानी को कुछ रद्दो बदल करके मुहम्मद ने क़ुरआन में कई बार दोहराया है. 
मज़े की बात ये है कि हर बार बात कुछ न कुछ बदल जाती है, 
कहते हैं न कि "दरोग़ आमोज़ रा याद दाश्त नदारद."
***
जीम 'मोमिन' निसारुल-ईमान

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