Sunday 3 January 2021

धर्म


धर्म 

दुन्या के तमाम धर्मों का गहराई के साथ अध्यन करने वाले और उसके बाद सिर्फ़ मानव धर्म को श्रेष्ट बतलाने वाले डा.राम स्वरुप ऋषिकेश कहते हैं - - - 
हिन्दू कहते हैं जो वेदों में लिखा है वह धर्म है , 
पारसी कहते हैं जो अहुन वइर्यो में लिखा है वह सत्य है , 
जैन कहते हैं जो जैन सूत्रों में लिखा है वह धर्म है , 
बौद्ध कहते है जो त्रिपटक में लिखा है वह धर्म है ,
ईसाई कहते हैं जो बाइबिल में लिखा है वह धर्म है , 
मुसलमान कहते हैं जो क़ुरआन में लिखा है वह धर्म है,
 सिख कहता है जो गुरु ग्रन्थ में है वह सत्य है - - - 
इस तरह अलग अलग फ़िरक़ों के अलग अलग धर्म है , कोई मुश्तरका ग्रन्थ नहीं है जिसको सब बिना शक शुबहा किए हुए मान लें कि यह है हम सबका धर्म.  
शायद कोई ऐसी किताब नहीं, 
वजह ?
उपरोक्त सभी किताबें विभिन्न धर्मों की अपनी अपनी हैं.  
क्योंकि यह सब विभिन्न वक़तों में, विभिन्न हालात में और विभिन्न धर्म गुरुओं द्वारा अलग अलग भाषा में लिखी गई हैं.  
ऐसी हालत में किताबों में यकसानियत संभव नहीं. 
सच्चाई ये है कि हर एक का पूज्य , आत्मा, देवी देवता , जन्नत दोज़ख़ , पुनर जन्म , नजात , कायनात और क़यामत वग़ैरा के विषय इतने सूक्ष्म हैं कि इन पर बहस सदियों से करते चले आ रहे हैं और सदियों तक करते रहेंगे मगर इंसान आपस में सहमत नहीं हो पाएगा. 
तो फिर क्या किया जाए ?

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जीम 'मोमिन' निसारुल-ईमान

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