Friday 1 January 2021

शैतानुर्रजीम


शैतानुर्रजीम

हुक्म है कि हर काम अल्लाह के नाम से शुरू किया जाय.
यानी "बिस्मिल्लाह-हिर्रहमान-निर्रहीम" पढने के बाद.
किसी जानदार को हलाल करो तब भी पहले मुँह से निकले बिस्मिल्लाह - - -
ख़ुद क़ुरान पाठ में भी इस बात का एहतेमाम है,
मगर कारी पहले पढता है
"आऊजो बिल्लाहे-मिनस-शैतानुर्रजीम"
जिसका मतलब है "अल्लाह की पनाह चाहता हूँ उस मातूब (प्रकोपित) किए गए शैतान से"
यहाँ पर शैतान ने अल्लाह मियाँ को भी गच्चा दे दिया कि
क़ुरआन पाठ से पहले उसका नाम भी लेना पड़ता है,
यानी उसकी हैबत से डर के साथ साथ, अल्लाह मियाँ का नाम आता है.
ये है मुहम्मद की अक़्ल ए कोताह का नमूना.
ऐसी बहुत सी गलतियाँ अल्लाह के कलाम में हैं जो बदली नहीं जा सकतीं.
इसी तरह इस्लामी नअरा है
"नारा ए  तकबीर-अल्लाह हुअकबर"
यानी तकब्बुर (घमंड) का नारा, अल्लाह बड़ा है.
सवाल उठता है अल्लाह बड़ा है तो छोटा कौन है?
बड़ा कहने का इशारा होता है कि इससे छोटा भी कोई है?
यहाँ पर भी अल्लाह के मुक़ाबिले में छोटा अल्लाह यानी शैतान खड़ा हुवा है.
दोनों की ख़स्लतें भी एक जैसी हैं. दोनों हर जगह मौजूद हैं.
दोनों इंसान के हर अमल में दख़्ल रखते हैं.
क़ुरआन बार बार कहता है
"अल्लाह जिसको गुमराह करता है उसको राह ए रास्त पर कोई नहीं ला सकता."
शैतान भी लोगों को गुमराह करता है.और अल्लाह भी 
शैतान को कहो "अल्लाह-हुअसगर"यानी छोटे अल्लाह मियाँ.
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जीम 'मोमिन' निसारुल-ईमान

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