Wednesday 6 January 2021


साही मरे मूड के मारे, हम संतन का का पड़ी - - -  
Pawan Prajapati
July १, २०१८· 

जो मांस नहीं खाएगा वह 21 बार पशु योनी में पैदा होगा-मनुस्मृति (5/35)
स्कन्ध पुराण की शिक्षा तो पूर्णतया अमानवीय, अप्राकृति व असवैंधानिक है, जिसमें लिखा गया है कि किसी भी स्त्री के विधवा होने पर उसके बाल काट दो, सफेद वस्त्र पहना दो और उसे खाने को केवल इतना दिया जाए कि वह मात्र जीवित रह सके अर्थात उस अबला विधवा नारी को हड्डियों का पिंजर मात्र बना दिया जाए।
इसके अनुसार किसी विधवा को पुनर्विवाह करना पाप माना गया है। याद रहे, ऐसे ही पुराणों की शिक्षाओं के कारण हमारे देश में वेश्यावृति और सति प्रथा ने जन्म लिया था। इसी प्रकार कुछ अन्य ब्राह्मणवादी ग्रंथों ने औरतों व दलितों के साथ घोर अन्याय करने की शिक्षा दी और हकीकत यह है कि इसी अन्याय के कारण भारतवर्ष को एक बहुत लंबी गुलामी का सामना करना पड़ा। उदाहरण के लिए……..
मनुस्मृति(100) के अनुसार पृथ्वी पर जो कुछ भी है, वह ब्राह्मणों का है।
मनुस्मृति(101) के अनुसार दूसरे लोग ब्राह्मणों की दया के कारण सब पदार्थों का भोग करते हैं।
मनुस्मृति (11-11-127) के अनुसार मनु ने ब्राह्मणों को संपत्ति प्राप्त करने के लिए विशेष अधिकार दिया है। वह तीनों वर्णों से बलपूर्वक धन छीन सकता है अर्थात चोरी कर सकता है।
मनुस्मृति (4/165-4/१६६) के अनुसार जान-बूझकर क्रोध से जो ब्राह्मण को तिनके से भी मारता है, वह 21 जन्मों तक बिल्ली की योनी में पैदा होता है।
मनुस्मृति (5/35) के अनुसार जो मांस नहीं खाएगा, वह 21 बार पशु योनी में पैदा होगा।
मनुस्मृति (64 श्लोक) के अनुसार अछूत जातियों के छूने परपर स्नान करना चाहिए।
गौतम धर्म सूत्र(2-3-4) के अनुसार यदि शूद्र किसी वेद को पढ़ते सुन लें तो उनके कान में पिघला हुआ सीसा या लाख डाल देनी चाहिए।
मनुस्मृति (8/21-22) के अनुसार ब्राह्मण चाहे अयोग्य हो, उसे न्यायाधीश बनाया जाए वर्ना राज्य मुसीबत में फंस जाएगा। इसका अर्थ है कि भूत पुर्व में भारत के उच्चत्तम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश श्री अलतमस कबीर साहब को तो रखना ही नही चाहिये था !
मनुस्मृति (8/267) के अनुसार यदि कोई ब्राह्मण को दुर्वचन कहेगा तो वह मृत्युदंड का अधिकारी है।
मनुस्मृति (8/270) के अनुसार यदि कोई ब्राह्मण पर आक्षेप करे तो उसकी जीभ काटकर दंड दें।
मनुस्मृति (5/157) के अनुसार विधवा का विवाह करना घोर पाप है।
विष्णुस्मृति में स्त्री को सती होने के लिए उकसाया गया है !
शंख स्मृति में दहेज देने के लिए प्रेरित किया गया है।
देवल स्मृति में तो किसी को भी बाहर देश जाने की मनाही है।
बृहदहरित स्मृति में बौद्ध भिक्षु व मुंडे हुए सिर वालों को देखने की मनाही है।
ऐतरेय ब्राह्मण(3/24/27) के अनुसार वही नारी उत्तम है, जो पुत्र को जन्म दे। (35/5/2/४7) के अनुसार पत्नी एक से अधिक पति ग्रहण नहीं कर सकती, लेकिन पति चाहे कितनी भी पत्नियां रखे ।
आपस्तब (1/10/51/ 52), बोधयान धर्मसूत्र (2/4/6), शतपथ ब्राह्मण (5/2/3/14) के अनुसार जो स्त्री अपुत्रा है, उसे त्याग देना चाहिए।
तैत्तिरीय संहिता(6/6/4/3) के अनुसार पत्नी आजादी की हकदार नहीं है।
शतपथ ब्राह्मण (9/6) के अनुसार केवल सुंदर पत्नी ही अपने पति का प्रेम पाने की अधिकारी है।
बृहदारण्यक उपनिषद् (6/4/7) के अनुसार अगर पत्नी संभोग करने के लिए तैयार न हो तो उसे खुश करने का प्रयास करो। यदि फिर भी न माने तो उसे पीट-पीटकर वश में करो।
मैत्रायणी संहिता(3/8/3) के अनुसार नारी अशुभ है। यज्ञ के समय नारी, कुत्ते व शूद्र को नहीं देखना चाहिए अर्थात नारी व शूद्र कुत्ते के समान हैं। (1/10/11) के अनुसार नारी तो एक पात्र(बर्तन) के समान है।
महाभारत(12/40/1) के अनुसार नारी से बढक़र अशुभ कुछ भी नहीं है। इनके प्रति मन में कोई ममता नहीं होनी चाहिए।

जीम 'मोमिन' निसारुल-ईमान

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