Friday 23 February 2018

Soorah anaam 6 Qist 8

मेरी तहरीर में - - -
क़ुरआन का अरबी से उर्दू तर्जुमा (ख़ालिस) मुसम्मी
''हकीमुल उम्मत हज़रत मौलाना अशरफ़ अली साहब थानवी''का है,
हदीसें सिर्फ ''बुख़ारी'' और ''मुस्लिम'' की नक्ल हैं,
और तबसरा ---- जीम. ''मोमिन'' का है।
नोट: क़ुरआन में (ब्रेकेट) में बयान किए गए अलफ़ाज़ बेईमान आलिमों के होते हैं,जो मफ़रूज़ा अल्लाह के उस्ताद और मददगार होते हैं और तफ़सीरें उनकी तिकड़म हैं और चूलें हैं.
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सूरह अनआम ६
(क़िस्त -8)

मुहम्मदी अल्लाह के तमाशे पेश हैं - - - 

''आप जानदार चीज़ों को बेजान से निकल लेते हैं (अंडे से परिंदा) 
और बेजान चीज़ों को जानदार से निकाल देते है (परिदे से अंडा)''
'(सूरह अनआम छटां - सातवां पारा(आयत ९६)

जी हाँ ! यह बात मुहम्मद अल्लाह से कह रहे हैं 
और एलान करते है कि क़ुरआन मुहम्मद से अल्लाह की कही हुई बात है. मुहम्मद के कलाम को अल्लाह का कलाम माना जाता है. क्या ख़ुदाए बरतर ऐसी नादानी की बातें कर सकता है?
अण्डों में जान होती है, इतनी सी बात को ख़ुदाए पुर हिकमत नहीं जानता.
अल्लाह के पयंबर कहलाने वाले मुहम्मद नहीं जानते. 
उनका गाउदी अल्लाह क़ुरआन में बार बार इस आयत को दोहराता है. 
इस्लामी ओलिमा ऐसी आयतों को मुस्लिम अवाम से पर्दा पोशी करते हैं और उनको अंध विशवास का ज़हर पिलाते रहते हैं.

''वह आसमानों और ज़मीन का मूजिद है, इसके औलाद कहाँ हो सकती है? हालाँकि इसकी कोई बीवी तो है नहीं. और अल्लाह ने हर चीज़ को पैदा किया है और हर चीज़ को जानता है.''
सूरह अनआम छटां - सातवां पारा (आयत १०२)

ईसाई, ईसा को ख़ुदा का बेटा कहते हैं, उसकी मुख़ालिफ़त में तर्क हीन बाते करते हैं. मुहम्मद के मुताबिक़  कोई आविष्कारक बाप कैसे हो सकता है? फिर ख़ुद ही कहते हैं- - - 
उसके पास कोई बीवी भी तो नहीं है, 
यह दूसरी जेहालत की दलील है. 
अव्वल तो यह कि ब्रह्मांड का रचैता उसका आविष्कारक कैसे हुआ? 
यह एक जाहिल जपट की बातें हैं. 
जब अल्लाह ने हर चीज़ को पैदा किया तो एक अदद बच्चा पैदा करना उसके लिए क्या मुश्किल था या उसकी जोरू नहीं है इसका इल्म मुहम्मद को कैसे है. मुहम्मद क़ुरआन में ही एक जगह अल्लाह से क़सम खिलवाते हैं 
'' कसम है बाप की और औलाद की - - -'' 

गोया अल्लाह के बीवी बच्चे ही नहीं बाप भी है.

''और अगर अल्लाह को मंज़ूर होता तो ये शिर्क न करते, और हम ने आप को इनका निगराँ नहीं बनाया और न आप इन पर मुख़्तार हैं और गाली मत दो उनको जिनकी यह लोग अल्लाह को छोड़ कर इबादत करते हैं, फिर वह बराए जमल हद से गुज़र कर अल्लाह को गाली देंगे.''
सूरह अनआम छटां - सातवां पारा(आयत १०८+९)

अल्लाह को मंज़ूर है कि वह (मुशरिक) शिर्क करें, फिर आप अल्लाह की रज़ा में बाधा क्यूं बन रहे हैं ?
आप कितने किसम की बातें करते हैं? आप निगराँ ही नहीं मुख़्तार ही नहीं बल्कि मौक़ा मिलते ही तलवार लेकर उनके सरों पर खड़े हो जाते हैं, घिज़वा (जंग) करते हैं और इंसानी ख़ून बहाते हैं. अबू बकर आप के ससुर जब काफ़िर इरवा से कहते - - -
''भाग जा अपने माबूद लात की शर्मगाह (लिंग) चूस'' 
(बुखारी ११४४)
जवाब सुन कर आपको होश आता है ?

''और लोगों ने बड़ा ज़ोर लगा कर अल्लाह की क़सम खाई थी कि इन के पास कोई निशानी आ जाए तो वह ज़रूर ही इस पर ईमान लाएँगे. आप कह दीजिए निशानियाँ सब अल्लाह के क़ब्ज़े में हैं और तुम को क्या ख़बर कि वह निशानियाँ जिस वक़्त आ जाएंगी, यह लोग तब भी ईमान न लाएँगे और हम भी उनके दिलों को और निगाहों को फेर देंगे जैसा कि ये लोग इस पर पहली बार ईमान नहीं लाए और हम इनको इनकी सरकशी में हैरान रहने देंगे''
सूरह अनआम छटां - सातवां पारा(आयत १११०+११)

बाबा इब्राहीम के दो बेटे इसहाक़ और इस्माईल थे. 
इसहाक़ ब्याहता सारा से और इस्माईल सेविका हाजरा से. 
इसहाक़ का वंशज यहूदी हैं जो कि श्रेष्ट माने जाते है और तमाम जाने माने कथित पैग़म्बर इसी में हुए. 
लौड़ी ज़ादे इस्माईलिए रश्क किया करते कि हमारे वंस में कोई पैग़म्बर होता तो क्या बात थी, 
यह बात इस्माईलिए मुहम्मद का सपना बन गया और उन्होंने पुख़्ता इरादा किया कि उनको इस्माईलियों का ईसा, मूसा की तरह ही बनना है. 
यहाँ इसी बात का इस्माईलियों को यह तअना दे रहे हैं. 
ईसा मूसा की तरह ही जब लोगों ने इनसे चमत्कार दिखलाने की बात करते हैं तो मियां कैसी कैसी कन्नी काटते नज़र आते हैं.

''और अगर हम इन पर फ़रिश्ते भी उतार देते और मुर्दे भी इनसे गुफ़्तगू करने लगते और हर चीज़ को उनके सामने पेश कर देते तो भी ये ईमान लाने वाले न थे लेकिन अक्सर इनमें से लोग जेहालत की बातें करते हैं.''
सूरह अनआम छटां - सातवां पारा (आयत ११२)

जनाबे आली! 
अगर आप उनके सामने यह मुअज्ज़े पेश कर देते तो वह न सिर्फ़ ईमान लाते बल्कि ईमान के दरिया में बह जाते. 
यह लोग जाहिल न थे बल्कि ख़ुद आप मुस्तनद जाहिल थे, 
जो ऐसी ग़ैर फ़ितरी बातें उनको समझाते थे. 
मुस्लिम अवाम की बद क़िसमती यह है कि वह आप के बके हुए कलाम में मानी, मतलब और मक़सद ढूंढने के बजाए सवाब ढूंढ रही है, 
नतीजतन वह अज़ाब में मुब्तिला है. 

मेरी बेदार मुसलमानों से गुज़ारिश है कि उन भेड़ बकरियों को फ़िलहाल सवाब की घास चरने दें, 
मगर आप हज़रात मेरी तहरीक में शामिल हो जाएँ. 




जीम 'मोमिन' निसारुल-ईमान

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