Monday 3 September 2018

सूरह नम्ल 27 क़िस्त-3

मेरी तहरीर में - - -
क़ुरआन का अरबी से उर्दू तर्जुमा (ख़ालिस) मुसम्मी
''हकीमुल उम्मत हज़रत मौलाना अशरफ़ अली साहब थानवी''का है,
हदीसें सिर्फ ''बुख़ारी'' और ''मुस्लिम'' की नक्ल हैं,
और तबसरा ---- जीम. ''मोमिन'' का है।
नोट: क़ुरआन में (ब्रेकेट) में बयान किए गए अलफ़ाज़ बेईमान आलिमों के होते हैं,जो मफ़रूज़ा अल्लाह के उस्ताद और मददगार होते हैं और तफ़सीरें उनकी तिकड़म हैं और चूलें हैं.
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सूरह नम्ल २७
क़िस्त-3

देखिए मुहम्मद के क़ुरआनी अफ़साने कि कहानी के नाम पर वह क्या हाँक रहे है. - - - 
बादशाह की शान में आधीन देवों की गुस्ताख़ी मुलाहिज़ा हो - - -

"जिसके पास किताब का इल्म था उसने कहा मैं इसको तेरे सामने तेरी आँख झपकने से पहले लाकर खड़ा कर सकता हूँ." 
इसी तरह  क़ुरआन  के दीगर मुकालमों पर ग़ौर करें और मानें कि यह एक अनपढ़ की तसनीफ़ है,किसी अल्लाह की नहीं.
क़ुरआन  में अकसर कुफ़फ़ार की अल्लाह से तक़रार है, उनको सवालों पर अल्लाह का जवाब है,
ज़ाहिर है इसके बाद वह जवाब पर सवाल करते होंगे, 
जिसे बे ईमान अल्लाह कभी पेश नहीं करता. मुसलमान अल्लाह के अर्ध-सत्य को ही पूरा सच मान लेता है. यह क़ुरआन  की धांधली है और मुसलमानों का भोला पन. कुफ़फ़ार मक्का की एक मफ्रूज़ा तक़रार पेश है.
रसूल :--"अच्छा बतलाओ ये बुत बेहतर हैं या वह ज़ात जो तुमको ख़ुशकी और दरया की तारीकी में रास्ता सुझाता है? जो हवाओं को बारिश से पहले भेजता है जो ख़ुश कर देती हैं.?"
सूरह नम्ल २७- आयत (63).
कुफ़्फ़ार:-- हमारे ये पत्थर के बने बुत, यह तो हैं जो हमें राह दिखलाते हैं और बारिश लाते हैं, 
जब इनके सामने हम दुआएँ मांगते हैं.
रसूल :-- इसका सुबूत ?
कुफ़्फ़ार:-- सुबूत ? चलो ठीक है हम अपने बुतों को साथ लेकर आते हैं, 
तुम अपने अल्लाह को लेकर आओ , मिल जायगा सुबूत .
रसूल :-- आएं ! (बगलें झाकते हुए) "मेरा परवर दिगार तो आसमानों और ज़मीन का मालिक है, और (और और) बड़ा हिकमत वाला है और (और और) बड़ा ज़बरदस्त है और (और और) आप कह दीजिए कि जितनी मख़्लूक़ात आसमानों और ज़मीन पर मौजूद हैं, कोई भी ग़ैब की बात नहीं जनता बजुज़ अल्लाह के. इनको ये ख़बर नहीं कि वह दोबारा कब ज़िन्दा किए जाएँगे, बल्कि आख़िरत के बारे में इनका इल्म नेस्त हो गया है, बल्कि ये लोग इस शक में हैं , बल्कि ये लोग इससे अंधे बने हुए हैं," 
सूरह नम्ल २७- आयत (65-66).

कुफ़्फ़ार :-ठीक है ठीक है हम लोग आधा घंटा तक अपने बुतों की इबादत करते हैं और तुम अपने अल्लाह की याद में ग़र्क़ हो जाओ, तब तक वह तुम्हारे पास ज़रूर आ जाएगा .
( कुफ़्फ़ार अपने बुतों के आगे ढोल, मजीरा और दीगर साज़ लेकर रक़्स-मार्फ़त करने लगे, मह्व-ज़ात-ग़ैब हुए और फ़ना फिल्लाह हो गए, कुछ होश अपना रहा न दुन्या का,  ख़ून के क़तरे क़तरे में मारूफ़ियत दौड़ने लगी, आधा घंटा पल भर में बीत गया, ख़ुद साख़्ता रसूल ने उनको झकझोरते हुए कहा 
कमबख़्तो ! तुम पर अल्लाह की मार, वक़्त ख़त्म हुवा .
कुफ़्फ़ार :- अल्लाह के रसूल! पकड़ में आया तुम्हारा अल्लाह?
रसूल :- क्या ख़ाक पकड़ में आता तुम्हारे हंगामा आराई के आगे. मैं तो अपनी रकात भी न याद रख सका कि कितनी अदा की तुम्हारे शोर गुल के आगे .
"आप कह दीजिए कि तुम ज़मीन पर चल फिर कर देखो कि मुजरिमीन का अंजाम क्या हुवा और आप इन पर ग़म न कीजिए और जो कुछ ये शरारतें कर रहे हैं, इनपर तंग न होइए और ये लोग यूँ कहते हैं कि ये वादा ( क़यामत) कब आएगा? अगर तुम सच्चे हो ? आप कह दीजिए कि अजब नहीं कि जिस अज़ाब की तुम जल्दी मचा रहे हो, उसमें से कुछ तुम्हारे पास ही आ लगा हो."
सूरह नम्ल २७- आयत (68-72).

कुफ़्फ़ार :- तो ग़ारे हरा चलें? शायद वहां मिले अल्लाह?
रसूल :- 
"और आप का रब लोगों पर बड़ा फज़ल रख़ता  है लेकिन अकसर आदमी शुक्र  नहीं करते और आपके रब को सब ख़बर है जो कुछ इनके दिलों में मुख़्फ़ी है और जिसको वह एलानिया करते हैं और आसमान और ज़मीन पर कोई मुख़्फ़ी चीज़ नहीं जो लौहे-महफूज़ में न हो."
सूरह नम्ल २७- आयत (74-75).
कुफ़्फ़ार :-
छोडिए अल्लाह को, ऐ अल्लाह के फर्जी रसूल! जिब्रील अलैहिस सलाम को ही बुलाइए.
रसूल :-  "ये कुफ़्फ़ार जब भी मुझको देखते हैं तो इनको तमसख़ुर सूझता है.
अल्लाह ने छे दिन में दुन्या बनाई फिर सातवें दिन आसमान पर क़ायम हुआ.
वह नूर अला नूर है. तुहें औंधे मुँह जहन्नम में डाल दिया जायगा और वह बुरी जगह है.
आप मुर्दों को नहीं सुना सकते, और न बहरों को अपनी आवाज़ सुना सकते हैं. जब वह पीठ फेर के चल दें और न आप अंधों को गुमराही से रास्ता दिखलाने वाले हैं. आप तो सिर्फ़ उन्हीं को सुना सकते हैं जो जो हमारी आयतों पर यक़ीन रखते हों. फिर वह मानते हैं और जब उन पर वादा पूरा होने का होगा तब उनके लिए हम ज़मीन से एक जानवर निकालेंगे वह इनसे बातें करेगा, कि लोग हमारी आयतों पर यक़ीन न लाते थे और जिस दिन हम हर उम्मत में से एक एक गिरोह उन लोगों का उन लोगों का जमा करेंगे जो हमारी आयतों को झुटलाया करते थे और उनको कहा जायगा यहाँ तक कि जब वह हाज़िर हो जाएँगे तो अल्लाह इरशाद फ़रमाएगा कि क्या तुमने हमारी आयतों को झुटलाया था, हालाँकि तुम उनको अपने अहाता ऐ इल्मी में भी नहीं लाए बल्कि और भी क्या क्या काम करते रहे "
सूरह नम्ल २७- आयत (74-80).
कुफ़्फ़ार:-- (क़हक़हा) 
रसूल :-  "और तू पहाड़ों को देख रहा है, उनको ख़याल कर रहा है कि वह जुंबिश न करेंगे? हालां कि वह बाल की तरह  उड़ते फिरेंगे . ये अल्लाह का काम है जिसने हर चीज़ को मज़बूत बनाये रखा है. यह यक़ीनी बात है कि अल्लाह तुम्हारे हर फेल की पूरी ख़बर रख़ता  है."
सूरह नम्ल २७- आयत (88).
कुफ़्फ़ार :-- (क़हक़हा) 


जीम 'मोमिन' निसारुल-ईमान

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